अंकों की नमस्ते
अंकों की नमस्ते
एक बार की बात है, 9 कुछ अजीब सी हरकत करने लगता है। जिससे भी मिलता यही कहता – “मुझे नमस्ते करो, मैं तुमसे बड़ा हूँ “। सबसे पहले 9 की मुलाक़ात 6 से हुई , 9 ने 6 से कहा- “मुझे नमस्ते करो, मैं तुमसे बड़ा हूँ” । 6 को उसका व्यवहार अजीब सा लगा और वो हँसकर चला गया। अब 9 को 8 मिला, उससे भी यही कहा - “मुझे नमस्ते करो, मैं तुमसे बड़ा हूँ” । 8 मुस्कराया और लेट (∞) गया – “नमस्ते” बोलकर आगे चल गया।
8 ने 7 को पहले ही बता दिया की आज 9 दिखाई दे तो उसे नमस्ते बोल देना। 7 को जैसे ही 9 दिखाई दिया, 7 ने 9 से कहा – “नमस्ते” । 9 को बहुत अच्छा लगा। उसने मुस्कराकर कहा – “नमस्ते -नमस्ते”।
7 ने 5 को भी बताया की 9 को मिलने पर नमस्ते बोलना है। 5 ने 4 को बताया, 4 ने 3 को, 3 ने 2 को और 2 ने 1 को बताया। सबने तय किया की चलों, हम ही 9 के पास चलते हैं और नमस्ते बोल देते हैं, अगर ऐसा करने से उसे खुशी मिलती है तो अच्छा है, यही करते हैं।
सभी मिलकर 9 को ढूँढने लगे। रास्ते में उन्हें कोई अंक सोता दिखाई 5,4,3,2, और 1 ने 7 और 8 को अचरज से देखा, और बिना कुछ बोले ही मन में कहा- “ये तो कह रहे थे कि 9 जिससे भी मिल रहा है, नमस्ते करने को कह रहा है, अकड़कर चल रहा है। यहाँ तो ये सोकर भी नहीं उठा।
इससे पहले 1,2,3,4, और 5 कुछ बोलते, 7 और 8 ने उन्हें चुप रहने का इशारा किया, और चुपचाप घेरा बनाने के लिए इशारा किया। सभी सोते हुये अंक को घेरकर खड़े हो जाते हैं और चुपचाप उसे सोते हुये देखते रहते हैं।
इतने में 9 भी उधर ही आ रहा होता है, सबको एक साथ देखकर उसे भी कुछ समझ नहीं आता कि यहाँ हो क्या रहा है? क्या मामला है?
वो 7 और 8 को हटकर कुछ पूछता, इससे पहले जो देखता है, उसे देखकर कुछ नहीं बोल पाता है।
अरे! जब मैं यहाँ हूँ, तो ये कौन सो रहा है?
4 और 3 जहां खड़े थे, उन्हें सारा मामला समझ आ गया था। वे दोनों ज़ोर -ज़ोर से हंसने लगे। 7,8,9,5 और 2 ने 4 और 3 को घूरा और आंखो के इशारे से हंसने का कारण पूछा? 4 और 3 ने इशारे से सबको अपने पास बुलाया और सोते हुये 6 कि ओर इशारा किया, जिसे सबने 9 समझ लिया था।
6 कि नींद भी उचट गई। उसने सभी अंकों को अपने आस-पास जमा देखा, वो कुछ बोलने ही वाला था कि उसके मुंह खोलने से पहले सारे अंक एक साथ बोले –
“नमस्ते”
और सारे अंक ज़ोर -ज़ोर से हंसने लगे और गोल -गोल घूमकर गाने लगे –
1,2,3,4,
5,6,7,8 और 9
हम 9 अंको से ही गिनती हो पाती है
जो कुछ है दिखता, सब हमसे ही गिन पाते हैं,
गिनना -गिनना -गिनना
हमसे होता गिनना
किसी समूह में कितनी वस्तु हैं ?
हम से ही गिन पाते हैं,
गिनना -गिनना -गिनना
हमसे होता गिनना
एक हमारा क्रम है निश्चित,
एक -एक करके बढ़ते जाते,
गिनना -गिनना -गिनना
हमसे होता गिनना
अंक जो होता आखिरी,
सारे समूह कि संख्या को बताता,
गिनना -गिनना -गिनना
हमसे होता गिनना
ज़ीरो का जो साथ मिल जाये,
सारी संख्या हम लिख जाएँ
गिनना -गिनना -गिनना
हमसे होता गिनना
ज़ीरो के होने से हम,
प्राकृतिक से पूर्ण हो जाएँ
गिनना -गिनना -गिनना
हमसे होता गिनना
0,1,2,3,4,
5,6,7,8 और 9
हम दस अंको से ही बनती हैं सारी संख्याएँ
गिनना -गिनना -गिनना
हमसे होता गिनना।