Vikas Sharma

Children Stories

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Vikas Sharma

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बुनियादी कक्षा में क्या ही पढ़ाना होता है!

बुनियादी कक्षा में क्या ही पढ़ाना होता है!

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मैंने नया -नया पढ़ाना शुरू किया था। बी.एड के दौरान जो सीखने -सिखाने के सिद्धांत सीखे थे अब उन्हे धरातल पर उतारने में आनंद आ रहा था। अभी प्रशिक्षण से भी आई थी। पाठ योजना से पढ़ाने पर इस बार के प्रशिक्षण में विशेष ज़ोर था। मुझे जिस कक्षा को पढ़ाना था, वहाँ संक्रियाओं पर कार्य हो रहा था। गुणा तक कार्य हो चुका था, अभी हाल ही में ही भाग की अवधारणा पर काम शुरू हुआ था। मैंने भाग की अवधारणा पर शुरू से ही शुरुआत करने की ठानी। मैंने अपनी पाठ योजना तैयार कर ली थी। परिचय गतिविधि में एक खेल करवाने वाली थी जिसमें बच्चों को गोल -गोल घूमते हुये एक -एक करके उनके मध्य रक्खी वस्तुएं उठानी थी।प्रश्न पूछते हुये और संवाद करते हुये मैं भाग की अवधारणा पर काम करने वाली थी। अभ्यास के प्रश्न के लिए कार्यपत्रक भी तैयार कर लिया था। मेरे मन में अक्सर ये ख्याल आता था कि बुनियादी कक्षा में पढ़ाना ही क्या होता है – गिनती, जोड़,घटाव,गुणा व भाग। इसलिए कोई विशेष तैयारी कि आवयशकता नहीं होती थी। कुछ नया सीखने को नहीं समझ में आता था, बस बच्चों को सक्रिय रखने के लिए खेल व गतिविधि तलाशनी होती थीं। मेरे साथी शिक्षक व शिक्षिकाओं के अभी मेरे जैसे ही ख्याल थे।

काफी दिनों से विकास सर से बात भी नहीं हुई थी। आज समय था, उन्हें फोन लगा लिया। जिंदगी कि हाल -चाल लेने के बाद अभी जो बच्चों को भाग सिखाने वाली थी पर चर्चा जा पहुंची। दोनों ही हम फुर्सत में थे। सर ने मेरी बातों से भाँप लिया था शायद कि मैं बुनियादी कक्षाओं को हल्के में ले रही हों। इसलिए उन्होने भाग के ऊपर मेरे साथ बातचीत शुरू की। 

सर - "भाग का क्या मतलब है?"

मैं -" जब हम कुछ वस्तुओं को किन्ही लोगों में बराबर बांटेगे तो एक को जो मिलेगा जबाब होगा। जैसे 8 लड्डू को 4 बच्चों में बराबर बांटने पर एक को दो लड्डू मिलेंगे।"

8÷4 = 2

सर – "मतलब भाग में मात्रा छोटी होती चली जाती है ।"

मैं – "हाँ"

सर - "अच्छा, तो ये बताओ कि आधे का आधा कितना होगा? मतलब ½ ÷ ½ बराबर क्या?'

मैं – '1"

सर– '1 कैसे आ गया? ये तो ½ से ज्यादा है, अभी तो तुम कह रही थी कि भाग करने पर छोटी मात्रा मिलती है।ऐसे ही अपने से गणित के नियम बनाने लगी हो। कुछ उदाहरण लिए और आगमन से नियम बना लिए जैसे

100 ÷20 = 5 , 40 ÷5 = 8

भाग करने पर हमें छोटी संख्या मिलती है।

पर गणित में ऐसे नियम नहीं बनते, कुछ उदाहरण देखकर हम नहीं कह सकते कि सभी संख्याओं के साथ भी ऐसा ही होगा क्योंकि गणित में कोई एक प्रति उदाहरण आते ही पुरानी सारी इमारत ढह जाती है, जैसा अभी आधे वाले उदाहरण में हुआ। गणित में हमें n के लिए सामान्यीकरण करना होता है इस पर अलग से चर्चा कि आवयशकता है, अभी कि चर्चा को भाग पर ही फोकस करते हैं।

यहाँ पर ये ध्यान देने कि बात है कि भाग करने पर छोटी संख्या मिलती है केवल प्राकृतिक संख्याओं में। भिन्न संख्याएँ अलग व्यवहार दिखाती है और ये भी समझने कि जरूरत है कि भिन्न कि भाग में जो जबाब आता है उसका मतलब क्या होता है? यहाँ वो परिमाणात्मक संख्या न होकर कितनी बार है इसको इंगित करती है, उदाहरण के लिए दिये गए आधे में चौथाई कितनी बार है या ½ ÷1/4, इसका जबाब है 2 और इसका मतलब है जिस पूर्ण का आधा किया गया है, उसी का चौथाई भाग आधे में दो बार है।

वापस उसी उदाहरण को आगे बढ़ाते हैं।"

सर - "भाग का क्या मतलब होता है?"

मैं - "मेरे पास 36 टाफ़ियाँ हैं, इन्हें 4 बच्चों में बराबर -बराबर बांटना चाहती हूँ, तो हर को कितना मिलेगा?"

36÷4 =?

सर – "अच्छा, तो ये बताओ कि मेरे पास 36 टाफ़ियाँ हैं, और और मुझे 4 -4 कि ढेरी बनानी है तो कितनी ढेरी बनेंगी?'

"36 ÷4 =?"

अब बोलो ये तो तुम्हारे उदाहरण से अलग है, सही कौन है?और उदाहरण लेते हैं,

6 ÷2और इसे दो तरीकों से बनाया जा सकता है:


"6 की राशि प्राप्त करने के लिए 2 के आकार के कितने भागों को जोड़ा जाना चाहिए?" (उद्धरण भाग)

कोई लिख सकता है चूँकि इसमें 3 भाग लगते हैं, निष्कर्ष यह है कि और दूसरा,

"2 बराबर भागों का आकार क्या है जिनका योग 6 के बराबर है?"। (विभाजन भाग)कोई लिख सकता है

चूँकि प्रत्येक भाग का आकार 3 है, निष्कर्ष यह है कि यह प्रारंभिक सैद्धांतिक गणित का एक तथ्य है कि संख्यात्मक उत्तर हमेशा समान होता है, चाहे आप इसे किसी भी तरह से कहें, 6 ÷ 2 = 3

मतलब भाग के दो संदर्भ हो सकते हैं (अभी तक कि चर्चा के हिसाब से )

समूहीकरण – जब हम यह पता करना चाहें कि किसी निर्धारित राशि में से एक निर्धारित परिमाण के कितने हिस्से प्राप्त हो सकेंगे। इस तरीके को बार -बार घटाव से भी दिखाया जाता है जैसे 6÷2 को हल करने के लिए

6 – 2 = 4

4-2 = 2

2-2 = 0

हमें कितनी बार घटाने पर शून्य प्राप्त हुआ ? या 6 की राशि प्राप्त करने के लिए 2 के आकार के कितने भागों को जोड़ा जाना चाहिए?"


या 6 की राशि में दो कितनी बार है, बार -बार 2 घटाव करते हुये कितनी बार में 6 की राशि शुन्य हो जाएगी।

और बराबर बाँटना - जब हम यह पता करना चाहें कि किसी निर्धारित राशि के कुछ बराबर -बराबर हिस्से करने हों , तो हर हिस्से में कितनी मात्रा आएगी।

छोटे बच्चों का वास्ता (दस वर्ष तक) इन्ही दो भाग के संदर्भों से होता है। इसके आगे के संदर्भ छोटे बच्चों के लिए समझना थोड़ा जटिल होगा, क्योंकि कई और अवधारणा जुड़ती चली जाती हैं।

जैसे अनुपात के रूप में, जब हम दो राशियों कि तुलना उनके अनुपात के आधार पर करना चाहें। उदाहरण के लिए रानी का वजन 40 कि. ग्रा. है और प्रीति का वजन 50 कि. ग्रा. है। उनके वजन का अनुपात निकालिए।

बच्चों को भाग की अवधारणा सिखाने से पहले भरपूर उदाहरण दैनिक जीवन के संदर्भों से जुड़े हुये पर काम होना चाहिये-

भाग एक बराबर बँटवारे के संदर्भ में भाग बार -बार घटाव के संदर्भ मेंभाग के अनुपात के संदर्भ पर 6 से 8 की कक्षाओं में काम किया जाना चाहिये।तीनों संदर्भ पर एक साथ उदाहरण आपको अब तक की की गई चर्चा को समेकित करने में मदद करेंगे – 1.काशवी के पास 12 मिठाइयाँ हैं और तीन डिब्बे हैं | समीना तीनों डिब्बों में बराबर-बराबर मिठाइयाँ रखना चाहती है| एक डिब्बे में कितने मिठाइयाँ आएंगी ?2. आशवी के पास 12 मिठाइयाँ हैं| वह अपने प्रत्तेक दोस्त को 3 मिठाईयाँ देना चाहती है| तो वह कितने दोस्तों में ये मिठाइयाँ बांट पायेगी?3.काशवी के पास 12 मिठाइयाँ हैं और आशवी के पास 3 मिठाइयाँ है| काशवी की मिठाइयाँ आशवी की मिठाइयों से कितना गुणा ज्यादा हैं?

भाग सिखाने के अगले चरण में भाग और गुणा के संबंध पर काम किया जाना चाहिये। क्योंकि गुणा की अवधारणा पर उनके साथ काम शुरू हो चुका है, तो ये स्वाभाभिक है की भाग की समस्या समाधान के लिए पहाड़ो/गुणन तथ्यों का उपयोग करें। उदाहरण के लिए 12 ÷4 को कोई बच्चा इस तरह समझ सकता है “4 कितनी बार 12 हो जाएगा”?इसके बाद बच्चों की समझ इस पर बनानी चाहिये कि एक भाग का तथ्य एक और भाग के तथ्य से जुड़ा होता है उदाहरण के लिए 12 ÷ 4 = 3इसी को जब ठोस वस्तुओं से दिखाया जाएगा तो एक 12 ÷ 3 = 4 से संबंध पर भी साथ ही समझ बन जायगी।

बच्चों के दैनिक जीवन के अनुभवों पर जब ठोस वस्तुओं के साथ काफी काम हो जाये तो चित्रों/दृश्यों के साथ भी लंबे समय तक काम किया जाना चाहिये। इसके बाद एकल चरण वाले साधारण संदर्भ जिन्हे ठोस, चित्रों और प्रतीकों कि सहायता से हल कर सकें पर पर्याप्त समय देना चाहिये। बच्चे यहाँ तक आते -आते तुरंत मानसिक प्रक्रियाओं या सहायक सामग्री कि सहायता से जबाब देना शुरू कर देते हैं। इस चरण कि महत्वपूर्ण बात ये है कि यहाँ से वो अपने जबाब को, अपनी प्रक्रिया को दर्ज करना सीखें, दर्ज करना सिखाते समय इकाई व दहाई के शीर्षक बनाकर लिखवाने कि आदत डालने से गलतियों कि संभावना भी कम होती जाती है। बच्चे समस्या सुनकर या पढ़कर ये तय कर पाएँ कि केंद्र में कौन सी संख्या लिखी जाएगी, बाईं ओर कौन सी लिखी जाएगी और जो जबाब होगा उसे ऊपर लिखा जाएगा। इस स्तर पर ऐसे संदर्भ लेने से बचें जहां शेष बचे। इसके बाद शुन्य से भाग, दस से भाग, दो अंको कि संख्या में भाग को कई वैकल्पिक तरीकों से करना व दर्ज करना पर काम करना होगा, भाग कि मानक विधि पर कैसे काम करें? और क्या वैकल्पिक विधियाँ भाग सिखाने कि हो सकती है -इन पर आगे बात करेंगे।तब तक आप इस बात का अवलोकन कर सकती हैं कि आपके प्रदेश कि पाठ्य पुस्तक और एनसीईआरटी कि पाठ्य पुस्तकों में कैसे भाग कि समझ को चरण बद्ध तरीके से रखा गया है।जिन बुनियादी कक्षाओं को मैं और मेरे जैसे कई साथी कमतर आँकने की भूल करते हैं, आज की बातचीत मेरे लिए तो आईना दिखाने वाली थी। अभी मुझे भाग को और अच्छे से समझना था ताकि बच्चों को उनके दैनिक जीवन से जोड़ते हुये सीखने में मदद कर सकूँ। 


 


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