Turn the Page, Turn the Life | A Writer’s Battle for Survival | Help Her Win
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Rohit Verma

Action Children Others inspirational fantasy

3.5  

Rohit Verma

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आफ़िज और रिवाज

आफ़िज और रिवाज

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आज काफी खुशी का दिन था क्योंकि ईद का दिन था आफ़िज को भी काफी खुशी थी क्योंकि उसके कई दोस्त आने वाले थे। आफ़िज ने अम्मीजान से पूछा आज क्या बनाने वाले हो?

वह बोली कि मैं सेमिया के आलावा कुछ नहीं बना सकती क्योंकि मेरे पास इतना पैसा नहीं। आफ़िज ने घर पर छोटी- सी दावत रखी जिसमें कुछ हिंदू दोस्त भी थे और कुछ मुस्लिम। आफ़िज मुस्लिम तो था लेकिन वह शुद्ध शाकाहारी आहार खाता था ये देख कर उसके आस - पास के लोग काफी आफिज़ की प्रशंसा करते थे क्योंकि उसमे हिन्दू भाईचारा था लेकिन काफी लोग आफ़िज का विरोध करते थे क्योंकि वह अपने धर्म की परम्परा खराब कर रहा था शाम की दावत शुरू हुई उसके कुछ हिन्दू और कुछ मुस्लिम दोस्त आए।

अम्मीजान ने सैमी और पुड़ियाँ और छोले की सब्जी बनाई कुछ मुस्लिम दोस्त ने पूछा भाईजान तुम्हारी अम्मीजान शुद्ध शाकाहारी भोजन बनाती है तुम को अजीब नहीं लगता तो आफ़िज बोला इसमें अजीब कैसा भोजन तो भोजन होता है चाहे मांसाहारी हो या शाकाहारी हो, वो बोला मैं हिंदुस्तान में रहता हूं मुझ को हिन्दुस्तानी रिवाज अच्छे लगते है तुम को दावत करनी है करो न तो जाओ। आफ़िज के दोस्त बोलते है बुरा मत मानो लेकिन एक बात और जब बकरा ईद होती है तो तुम क्या करते हो तो आफ़िज मुस्कुरा कर बोला मैं उस दिन बकरे की पूजा करता हूं जो ग़लती हुई उसके लिए माफ़ी मांगता हूं क्योंकि जीने का हक उनको भी है आफ़िज हिन्दू त्यौहार भी आनंद के साथ मनाता है आफ़िज की ये बात उसके मुस्लिम दोस्तों को अटपटी लगी, लेकिन आफ़िज को नहीं। लेकिन आफ़िज के हिन्दू दोस्तों को नहीं। कुछ दिनों बाद आफ़िज की ये खबर मुस्लिम समाज में पड़ गई आफ़िज को मुस्लिम समाज से निकाल दिया उसके बाद आफ़िज हिन्दू समाज से जुड़ गया और उसने अपना नाम तक बदल लिया।

शिक्षा - ज़िंदगी मे अपनी मर्ज़ी से चलो जब चालीस लोग बोल रहे हो बेहरे बन जाओ


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