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Jyoti narang

Horror

4  

Jyoti narang

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आख़िर भाग 7

आख़िर भाग 7

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आयुष पंडित जी से मिलने आता है।

आयुष "पंडित जी। हमें जल्दी ही इसका हल निकालना होगा क्योंकि अब लखन भी इस दुनिया में नहीं रहा।"

पंडित जी "ओह। यह कैसे हुआ? और तुम्हे कैसे पता चला?"

आयुष "जब उसका फोन नहीं लगा तो मुझे चिंता हुई इसलिए अपने एक दोस्त को उसके घर भेजा वहां उसकी लाश मिली। उसे हार्ट अटैक आया था।"

आयुष लेटर वाली बात पंडित जी से छुपा लेता है।

पंडित जी "यह तो बहुत बुरा हुआ। लगता है इस आत्मा की शक्तियां बढ़ती जा रही है।"

आयुष "हमें इसका हल निकालना होगा। ऐसे कब तक बैठे रहेंगे। हमें उसके परिवार को ढूंढ़ना होगा।"

पंडित जी "अगर हमें उसका परिवार मिल भी गया लेकिन वह लोग तैयार नहीं हुए तब क्या करेंगे। मेंने बहुत ही पहुंचे हुए गुरु से बात कर ली। थोड़ी देर में आते ही होंगे।

थोड़ी देर में गुरु जी आ जाते है। आयुष और पंडित जी उन्हें अब तक की सारी बातें बताते हैं। अब आयुष वह खत वाली बात भी बता देता है।

पंडित जी "यह वही गुरु जी है जिन्होंने सालों पहले तुम्हारे पिता जी, माता जी , अम्मा जी और तुम्हे भी अभिमंत्रित धागे बांधे थे। यह मेरे गुरु भी हैैं। इन्हीं के कहने से मैं आपके परिवार से जुड़ा हुआ हूं। उस दिन जब तुम्हारा ऐक्सिडेंट हुआ तब इनका फोन मुझे आया था और इन्होंने ही हवन और बाकी सब काम करने को बताया। इन्हीं की वजह से आज तुम जिंदा हो।"

गुरु जी "नहीं हमारी वजह से नहीं तुम अपने अच्छे कर्मो की वजह से जिंदा हो।"

आयुष "गुरु जी अब हमें आगे क्या करना है?"

गुरु जी "हमें उस आत्मा को नष्ट करना होगा। अब जो मैं तुमको बताने जा रहा हूं ध्यान से सुनना। उस आत्मा ने तुम्हारे घर के किसी सदस्य के शरीर पर कब्जा कर रखा हैं।पहले हमें उसका पता लगाना होगा फिर हमें महाकाली की पूजा और हवन करना होगा। यह सब हमें अमावस के पहले ही करना होगा। क्योंकि इस बार की अमावस पर शैतान योग बन रहा है जो 100 साल में एक बार बनता हैं। अगर अमावस के समय वो आत्मा उसी शरीर में रही तो वह उस शरीर को प्राप्त कर लेगी और यह अमावस परसो ही हैैं तो हमें जल्दी ही सब करना होगा। इन सब में वह हमें रोकना चाहेगी और तुम्हे मारना भी चाहेगी। पंडित जी आपको जो मैने बताया था आप वह सब तैयारी करें। मैं आयुष के साथ जाता हूं।"

आयुष और गुरु जी घर के लिए निकलते हैं।

आयुष "गुरु जी आप कैसे पता करेंगे कि वो आत्मा किसके शरीर में हैं।"

गुरु जी "यह गुलाल देख रहे हो यह कोई आम गुलाल नहीं है। इसमें दुनिया की पवित्र नदियों में उगने वाले खास फूल से बनाया गया हैं। मैं जब सबसे बात कर रहा हूं तब तुम यह गुलाल वहां उछाल देना। कुछ ही देर में जिस भी शरीर में आत्मा होगी उस पर लगा गुलाल रंग बदल देगा। लेकिन यह रंग का बदलाव कुछ क्षण के लिए ही होगा तो सब पर अपना ध्यान बनाए रखना। एक बात ओर यह एक बहुत ही पवित्र गुलाल हैं इसलिए अगर किसी कपटी के उपर भी गिरा तब भी यह रंग बदलेगा। अगर यह काले रंग में बदल गया तो समझ जाना आख़िर उसी इंसान में हैं आत्मा।"

आयुष "जी गुरु जी।"

आयुष और गुरु जी घर पहुंच जाते हैं। आयुष सबको बुलाता हैं। गुरु जी को देख अम्मा जी भी अच्मभित रह जाती हैं।

गुरु जी "मुझे आप सब लोगों से कुछ जरूरी बात करनी हैं।आप सभी यहां आकर बैठ जाएं।"

सभी लोग एक साथ आ कर बैठ जाते हैं। इतनी देर में आयुष मौका देख कर गुलाल उड़ा देता हैं। सब लोग हैरान हो जाते हैं कि बिना होली या किसी उत्सव के आयुष ने गुलाल क्यों उड़ाया हैं। गुरु जी बताते हैं उन्हीं ने बोला था ऐसा करने को। फिर वह बताते हैं कि आयुष के मां बाप की आस्मिक मृत्यु होने के कारण उनके लिए कल एक हवन करने वाले हैैं। पंडित जी सभी तैयारी कर लेंगे। आप लोग कल तैयार रहें और सभी लोग घर में रहें। गुरु जी आयुष को लेकर फिर से पंडित जी के पास चले जाते हैं।

आयुष की आंखों आंसू आ गए।

आयुष "गुरु जी वो आत्मा तो...."

गुरु जी "हां। वो आत्मा अम्मा जी में ही हैैं। हमें पहले से ही शक था। पंडित जी ने हमें कुछ ऐसी बातें बताई जिससे हमें पता चला कि वो आत्मा अम्मा जी के शरीर में अपना घर बना चुकी हैं।"

पंडित जी "जब तुम लोग अस्पताल से वापस आए तब अगले दिन अम्मा जी के हाथ में अभिमंत्रित धागा नहीं था और वह बार बार उस आत्मा के अजन्मे बच्चे के बारे में दुखी हो रही थी। परिवार के अन्य सदस्यों की मृत्यु पर उन्हें इतना दुःख नहीं हुआ जितना कि उस आत्मा के अजन्मे बच्चे की मृत्यु पर हुआ। एक खास बात जब तुमने बताया कि वो फोन तुम्हे यहीं से किया गया था तब ही मैं समझ गया वो कोई नहीं बल्कि अम्मा जी ही कर सकती हैं क्योंकि एक वही हैं जिनको पता था कि तुम लोग कहां रहते हो और तुम्हारे घर का नंबर भी उन्हें है मालूम था। लेकिन एक बात समझ नहीं आई इतने सालों बाद उस आत्मा ने उनसे फोन क्यों करवाया। वह चाहती तो पहले भी कर सकती थी।

आयुष "इसका जवाब मुझे समझ आ गया हैं। मम्मी पापा और मैं उसी दिन हम लोग घूमने गए थे तब उस जगह पर सुरक्षा कारणों की वजह से मम्मी पापा के धागे खुलवा दिए गए क्योंकि उनमें ताबीज़ था। मैने भी अपना धागा खोला था लेकिन उसमे ताबीज़ ना होने की वजह से मुझे कुछ ना कहा गया। मेंने वह धागा जेब में रख लिया लेकिन मम्मी पापा के ताबीज़ वाले धागे वहीं जमा करने पड़े। उन्होंने बोला आप घूम कर आने के बाद ले लेना। हम लोग जब वापस आए तब वहां हमें कोई ताबीज़ ना मिला ना ही कोई धागा। तब ही पापा बहुत चिंता करने लगे थे। पर हमने हसीं में टाल दिया।

जब हम घर आकर खाना खा कर सोने जा रहे थे तब हमें फोन आया। उसके बाद वह सब हुआ।"

आयुष मम्मी पापा को याद कर रोने लगता हैं। पंडित जी और गुरु जी उसे संभालते हैं।

गुरु जी "ठीक हैं।अब हमें पता हैं कि आत्मा किसके शरीर में हैं। इसलिए अब ज्यादा ध्यान रखना होगा। ध्यान रहे कोई भी उसका नाम ना पुकारे क्योंकि नाम पुकारने से उसका ध्यान यहां आकर्षित होगा और वह सब जान जाएगी। आयुष अब तुम्हें ऐसा दिखाना होगा जैसे तुम्हें कुछ नहीं पता हैं। पंडित जी आपने सभी तैयारी कर ली।"

पंडित जी "हां गुरु जी सभी तैयारी हो चुकी हैं। आयुष अब तुम यह राख ले जाओ और घर के चारों डाल देना ताकि वह आत्मा बाहर ना जा पाए।"

आयुष "ठीक है।"

आयुष वापस घर आ जाता हैं। सबसे चुप कर रात को आयुष घर के चारों ओर राख डाल देता है।

अगले दिन गुरु जी और पंडित जी आते हैं। सब लोगों को बुलाते हैं। अम्मा जी तबियत खराब का बहाना कर देती है.

आयुष "अब क्या करें गुरु जी अम्मा जी तो नहीं आई। ऐसे में हम आत्मा को उनके शरीर से कैसे निकालेंगे?"

गुरु जी "तुम चिंता मत करो। वह नहीं आई तो भी पूजा का असर होगा ही क्योंकि वह इस घर से बाहर नहीं जा सकती है।"



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