आख़िर भाग 1
आख़िर भाग 1
दोपहर का समय है। अम्मा आराम से सो रही है कि तभी कुछ टूटने की वजह से उनकी नींद खुलती हैं। कमरे से निकल कर बाहर बैठक में आ जाती हैं।
वहां उनके बेटे बहू और पोते की फोटो नीचे पड़ी मिलती हैं।
अम्मा भागकर फोटो उठाती है और देखती कांच टूट चुका है।
अब उनके मन में अनहोनी का डर बैठने लगता है।
अम्मा ( जोर से चिलाते हुए) "प्यारी।"
प्यारी अपनी मां के साथ यहां काम करती है। प्यारी भागती हुई आती हैं।
प्यारी "जी अम्मा। आपने बुलाया।"
अम्मा "यह कांच को साफ कर दो और यह तस्वीर बनवाने दे दो।
इतना कह कर अम्मा चली जाती हैं। प्यारी कांच साफ करने लगती हैं। तभी वहां श्याम आ जाता है।"
श्याम "क्या हुआ प्यारी? अम्मा सुबह सुबह क्यों चिल्ला रही थी ?"
प्यारी "काका। कोई फोटो टूट गई है तो परेशान लग रही है। यह देखो।"
श्याम "यह तो उनके बेटे बहू और पोते की फोटो हैं।"
प्यारी "पर इन सबको यहां कभी देखा नहीं।"
श्याम "कैसे देखोगी। उनको इस घर से गए हुए बहुत समय हो गया। अम्मा ने उन्हें घर से निकाल दिया था। उसके बाद वो लोग कभी वापस ना आए बस कभी कभी फोन आ जाता है। लाओ यह फोटो मुझे दे दो मैं ठीक करवा लूंगा।"
प्यारी फोटो दे देती हैं और चली जाती है।
अम्मा अपने कमरे में बेचैन सी घूम रही होती हैं। उनका मन डर रहा है कि कहीं कुछ अनहोनी ना हो।
तभी वहां प्यारी आती हैं।
प्यारी "अम्मा जी। रात के खाने का समय हो गया। आप आ जाइए।
अम्मा कुछ नहीं बोलती, चुप चाप सी बैठी रहती हैं। प्यारी उन्हें फिर बुलाती हैं लेकिन अम्मा कोई जवाब नहीं देती।"
उसी समय फोन बजता है अम्मा हड़बड़ाकर फोन की ओर भागती है।
फोन पर ना जाने क्या ख़बर मिलती हैं कि अम्मा बेहोश हो कर गिर जाती हैं।
