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Jyoti narang

Horror Fantasy Thriller

4  

Jyoti narang

Horror Fantasy Thriller

आख़िर भाग 6

आख़िर भाग 6

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लखन - मैं जो कहूंगा वो आपको यकीन नहीं होगा। वो फोन......

लखन इतना ही बोल पाता है और फोन बन्द हो जाता है।

अम्मा जी - हां लखन बताओ वो फोन कहां से आया था। हेल्लो हेल्लो....

आयुष - लगता है फोन कट गया। लाइए मैं लगा देता हूं।

आयुष लखन को फोन लगाता है। लेकिन फोन लगता नहीं है।

आयुष - शायद नेटवर्क नहीं होगा या फिर बैटरी चली गई होगी। थोड़ी देर में फिर करेंगे।

अम्मा जी - यह ही हो तो अच्छा हो। आयुष तुम आज शाम ही वापस चले जाओ यहां रहना ठीक नहीं है।

आयुष - लेकिन अम्मा जी मैं आपको अकेले छोड़ कर नहीं जा सकता हूं।

अम्मा जी - नहीं मैं कहीं जा सकती हूं तुम चले जाओ यहां से।

आयुष - अम्मा जी हम लोग कब तक ऐसे डरते रहेंगे। इसका कुछ तो हल निकलना होगा।

अम्मा जी - इसका कोई हल नहीं है। वो जब तक हमारे वंश को ख़तम नहीं करेगी शांत नहीं होगी।

आयुष - लेकिन उसके साथ जिसने भी गलत किया था उन सब से तो वो बदला ले चुकी है ना।

अम्मा जी - और उसके अजन्मे बच्चे का क्या? मैं बोल रही हूं तुम चले जाओ यहां से इसका कोई हल नहीं है।

पंडित जी - एक रास्ता है।

आयुष - क्या?

पंडित जी - अगर उसकी आत्मा को मुक्त कर दिया जाए।

अम्मा जी - लेकिन यह कैसे हो सकता है। मुक्ति तो परिवार के लोग ही दिला सकते हैं और उसके परिवार में कोई है ही नहीं। आत्मा अपना बदला पूरा करके ही मुक्त होती है ना।

पंडित जी - जिसने भी उसके साथ अन्याय किया था वो उन सबको मार चुकी है। आपकी बहू बेटे के अजन्मे बच्चे को मार कर वो बदला भी ले चुकी है।

आयुष - आपने सही कहा पंडित जी। और अम्मा जी परिवार भी है उसका उसने मरने से पहले कहा था ना कि उसकी बहन बहुत बड़ी तांत्रिक है वो उसका बदला लेगी। इसका मतलब बहन है और उसका परिवार भी होगा। हमें बस उसे ढूंढ़ना है। आपको याद है क्या वो कहां से आई थी।

पंडित जी - तुम बिल्कुल सही कह रहे हो।

अम्मा जी - नहीं अभी तो मुझे कुछ याद नहीं आ रहा है।

आयुष - ठीक है आप समय लीजिए और याद कीजिए।

अम्मा जी - ठीक है अभी तुम आराम करो। मैं सोचती हूं। चलिए पंडित जी।

अम्मा जी और पंडित जी चले जाते हैं। आयुष सारी बातें सोच रहा होता है कि क्या क्या हुआ अब तक। अम्मा जी ने सबकी मौतें कैसे देखी होंगी। इतने में उसका फोन बजता है। कोई नाम लिखा नहीं होता है। वो सोचता है कि किसका फोन होगा। सोचते सोचते फोन उठाता है।

आयुष - हेल्लो।

व्यक्ति - हेल्लो आप आयुष बोल रहे हैं।

आयुष - जी हां लेकिन आप कौन?

व्यक्ति - लखन से आपकी बात हो गई क्या? मैं उसका दोस्त दिनेश हूं।

आयुष - नहीं फोन बन्द हो गया था। लेकिन तुम्हें कैसे पता लखन मुझे फोन करेगा।

दिनेश - भईया। लखन ने मुझे एक लेटर दे कर कहा था कि उसके जाने के 1 घंटे बाद आपको फोन करू अगर आप दोनों की बात हो गई है तो लेटर को फ़ाड़ दू और नहीं तो बिना पड़े आपको इसकी फोटो भेजकर फ़ाड़ दू। मैं आपको फोटो भेज रहा हूं। आप देख लीजिए।

आयुष - ठीक है भेजो।

आयुष सोचता है कि ऐसा क्या होगा उस लेटर में।

थोड़ी देर में ही दिनेश के नंबर से आयुष को एक फोटो मिलती हैं। वो एक लेटर है जो लखन ने आयुष को लिखा था।

आयुष भईया,

        अगर आप यह लेटर पढ़ रहे हैं तो मतलब की मैं मर चुका हूं।

इतना पढ़कर आयुष घबरा जाता है और अपने मोबाइल से लखन को फोन लगाता है, इस बार भी लखन का फोन नहीं लगता है। आयुष रोने लग जाता है क्योंकि लखन सिर्फ घर में काम करने वाला ही नहीं बल्कि उसका बहुत अच्छा दोस्त भी था। रोते रोते उसे लेटर का ध्यान आता है।

वो साया आपको मारना चाहता है। इसलिए वो आपको सच का पता नहीं चलने देना चाहता है। मुझे अम्मा जी ने उस फोन के बारे में पता करने को बोला था। जिस फोन के चक्कर में आप लोग यहां आने को निकले थे। आपको यकीन नही होगा वो फोन यहीं से किया गया था।इसका मतलब घर के किसी सदस्य ने ही वो फोन किया था।

अब आपको पता करना होगा कि वो कौन है। ध्यान रखना यह बात ज्यादा लोगों को पता ना लगे। मैं चाहता तो खुद यह लेटर आपको भेज सकता था लेकिन वो साया मुझे यह करने नहीं देता इसलिए अपने दोस्त को कसम दी कि वो इसे ना पढ़े। क्योंकि जो भी सच जानेगा वो मरेगा। सच ढूंढने के दौरान एक महात्मा मिले उन्होंने ने कहा था कि आत्मा लिखा हुआ नहीं पढ़ सकती हैं इसलिए आप पढ़ने के बाद किसी को ना बताए तो अच्छा है।

लेटर पढ़ कर आयुष हैरान हो जाता है। वह सोचने लगता है कि क्या करे। फिलहाल वोह किसी को भी नहीं बताने का फैसला लेता है और अपने एक दोस्त को फोन करके लखन के घर भेजता है।

दोस्त थोड़ी देर में वापस फोन करके बताता है कि लखन की मौत हो चुकी है। डॉक्टर ने बताया उसकी मौत हार्ट अटैक से हुई है।

आयुष ठान लेता है वोह यह सब बन्द करके रहेगा। फिर वह अम्मा जी को कोई काम का बहाना दे कर पंडित जी से मिलने चला जाता है।


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