22 जून 2021
22 जून 2021
अचानक पैरों में ऐठन होने लगी। डॉक्टर चंद्रा ने एक दवा बताई जिसे खा कर तुरंत अस्पताल पहुंचना था। सीमा मेरे साथ अस्पताल आना चाहती थी लेकिन मैंने उसे रोक दिया। अनुष्का से मुझे घृणा हो चुकी है मैंने उसे अपने सामने आने से भी मना कर रखा है। मैं अनुष्का और अनुभव को अपने आमने सामने बैठा कर बात करना चाहता हूँ।
मैं अनिल और ममता भाभी के साथ अस्पताल गया। डॉक्टर चंद्रा ने खुद खड़े होकर चार इन्जेक्शन लगवाए। हालत में सुधार हुआ। डॉक्टर चंद्रा ने बताया की किड्नी के ठीक से काम ना करने के कारण शरीर में ज़हर फैलने लगा था। यदि समय पर इन्जेक्शन ना लगता तो इसका प्रभाव बोलने और सोचने समझने की शक्ति पर भी पड़ सकता था। शाम को घर वापस आ गया।
डॉक्टर चंद्रा की बात से यह निश्चित हो गया कि मेरा अंत निकट है। यदि मैं जीवित रह भी गया तो एक ऐसे अपाहिज की तरह जीऊँगा जिसका जीना मरने से भी बदतर होता है। मरने से पहले मैं अनुभव और अनुष्का को बता देना चाहता था कि तुम दोनों का विश्वासघात और बेवफाई मुझसे छुपी नहीं है और तुम दोनों को इसका परिणाम भुगतना होगा।
मैं भाभी को हेयर-बैंड की बात बात चुका हूँ। वह भी घर की इज़्ज़त को लेकर चिंतित हैं। कहने लगीं, "अनुष्का ने हँसते हँसाते घर की खुशियां छीन लीं। यदि इसने अनुभव को अपने प्रेम जाल में ना फँसाया होता तो सीमा की शादी अनुभव से पक्की की जा सकती थी।"
मैंने कहा, "भाभी मैं भी यही सोच रहा था और मैं आप से अपने मन की बात कह भी चुका हूँ लेकिन ऐसे नीच आदमी के हाथ में मैं अपनी सीमा का हाथ नहीं दे सकता जो सारी मर्यादाओं और दीर्घकालीन पारिवारिक संबंधों को एक ओर रख कर अपनी हवस के लिए एक विवाहिता भाभी समान स्त्री को अपनी प्रेमिका बनाए हुए है।"
भाभी बोलीं, "मैं यह सोच सोच कर चिंतित हूँ सीमा का क्या होगा? बिचारी सूख कर कांटा हुई जा रही है।"
मैंने कहा, "जो दुख झेलना है अभी झेल ले। यदि उसकी शादी अनुभव से हो गई तो अनुष्का नागिन बन कर उसकी खुशियों को सदैव डसती रहेगी। अभी उसकी आयु ही क्या है। उसको एक से एक अच्छे लड़के मिल जाएंगे। यदि अनुष्का की बात ना होती तो अनुभव से उसकी बात पक्की करके मैं चैन से मारता।"
मेरी बात सुनकर भाभी रोने लगीं, "भय्या मरने की बात क्यों करते हो। तुम ठीक हो जाओगे। पुराणों में आया है कि गुर्दों के स्वस्थ के लिए बुध के दिन व्रत रखना चाहिए। मैं और सीमा बुध का व्रत रखते हैं। मैं संकाष्टि चतुर्थी का भी व्रत रखती हूँ ताकि परिवार पर आए कष्टों का हरण हो जाए। बिरजीस ने और मैंने तीन मज़ारों पर तुम्हारे ठीक होने की दुआ की है और मन्नत मांगी है। बिरजीस ने तकिये के नीचे रखने के लिए एक तावीज़ दिया था पता नहीं तुम रखते भी हो या नहीं। कितने ही मंदिरों पर मैंने मन्नत मांगी है। कोई तो सुनेगा।"
पहले मैं पूजा पाठ आदि पर विश्वास नहीं करता था। यह बात सब लोग अच्छी प्रकार जानते हैं। लेकिन आज इन सब बातों को मानने का जी चाहने लगा। मैंने निश्चय किया की यदि भाभी किसी मंत्र का जाप करने के लिए कहेंगी तो मैं उसका जाप अवश्य करूंगा। लेकिन उन्होंने ऐसा कुछ भी नहीं कहा। बात को दूसरी दिशा देने के लिए मैंने कहा, "भाभी मैं यह चैट अनुष्का के मम्मी-पापा को और उसकी भाभी को भी भेजूँगा"
भाभी को मेरी यह बात अच्छी नहीं लगी। वह बोलीं, "तुम्हारे मन में यह विचार कैसे आ रहा है। उनके पापा की हालत वैसे ही गंभीर है। चैट पढ़ कर वह कल के मरते आज मर जाएंगे। संतान के दोषों का दंड उसके माता पिता को क्यों देना चाहते हो।"
बाद में मुझे भी लगा कि मुझे ऐसा नहीं सोचना चाहिए था।
शाम को मैंने भाभी को बुला कर कहा, "मैं अनुभव को बुलवा रहा हूँ। आप अनुष्का को भेज दीजिए मैं दोनों को आमने सामने बैठा कर बात करूंगा।" भाभी ने कहा, "दोनों से एक साथ बात करना ठीक नहीं है। बारी बारी से बात करो। अगर दोनों नीचता पर उतार आए तो हमारी ही इज़्ज़त जाएगी। अलग अलग बात करने से दोनों का झूठ पकड़ना भी आसान रहेगा।"
मुझे उनकी बात सही थी। मैं सोचने लगा कि इतनी मोटी सी बात मेरी समझ में क्यों ना आई।
मैंने सौरभ को फ़ोन मिला कर अनुभव को भेजने के लिए कहा। उसने बताया कि अनुभव घर पर नहीं है। जब मैंने अनुभव को बुलाने का कारण बताया तो उसने कहा कि बात करते समय इस बात का ध्यान रखना कि अनुभव बहुत संवेदनशील है। उसकी बात ध्यान से सुनना। वह झूठ नहीं बोलता है और अगर उससे कोई ग़लती हो जाती है तो अपनी ग़लती को स्वीकार भी कर लेता है।