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Dr. Hafeez Uddin Ahmed Kirmani

Romance Tragedy

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Dr. Hafeez Uddin Ahmed Kirmani

Romance Tragedy

21 जून 2021:

21 जून 2021:

4 mins
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सारी रात बेचैनी में कटी। एक बार आँख लगी तो सपने में लगा कि कोई अनुष्का के हेयर-बैंड से मुझे फांसी लगा रहा है और अनुष्का और अनुभव खड़े हंस रहे हैं। मन बदलने के लिए बग़ीचे में गया। गुलाबों को देख कर हेयर-बैंड का चित्र आँखों के सामने पुनः जीवित हो उठा। ईर्ष्या और विवशता ने मन को कलुषित कर दिया। मैं अपने कमरे में आ गया।

अधीरता से राहत की प्रतीक्षा करने लगा। मुझे अनुष्का और अनुभव की चैट की प्रतीक्षा थी। जब नहीं रहा गया तो राहत को फ़ोन किया। उसने कहा की चैट मिल चुकी है और थोड़ी देर में आप तक पहुँच जाएगी।

राहत ने चैट एक कौनेस्टेबल के हाथ भिजवाई है। चैट से पता चलता है कि इन दोनों में चैट कम होती थी और सीधी बातें अधिक होती थीं। 

चैट के कुछ वाक्य इस प्रकार के हैं:

अनुष्का: जब से तुमसे परिचय हुआ है, मुझे लगता है कि जैसे मुझे हर समस्या का समाधान मिल गया है।

अनुभव: इच्छा तो यही रहती है कि तुम्हारे किसी काम आऊँ लेकिन पता नहीं यह इच्छा कब पूरी होगी। मैं तुम्हारी खुशी के लिए अपनी जान भी दे सकता हूँ।

अनुष्का: तुम्हारी जान लेकर क्या करूंगी? यह बताओ अपना गुर्दा दे सकते हो?

अनुभव: तुम्हारी खुशी के लिए वह भी मंजूर है।

अनुष्का: क्या तुम गंभीर हो?

अनुभव: तुम्हारे लिए मैं हमेशा गंभीर हूँ।

अनुष्का: तुम जानते हो मैं गुर्दे की बात क्यों कर रही हूँ?

अनुभव: मुझे सब पता है।

अनुष्का: आज कल मैं बहुत परेशान हूँ। समझ में नहीं आता क्या करूं, किस से बात करूं। तुम से भी अधिक बात नहीं कर पाती हूँ। हमारे घर का महौल अब पहले जैसा नहीं रहा। अजब सा तनाव रहता है।

अनुभव: मेरे रहते तुम परेशान क्यों होती हो?

अनुष्का: तुम एक अच्छे दोस्त भी हो और एक अच्छे इंसान भी। ईश्वर से यही प्रार्थना है की तुम्हारा पारिवारिक जीवन सुखी रहे।

अनुभव: तुम्हारे होते हुए मेरा पारिवारिक जीवन सुखी कैसे नहीं होगा। तुमसे परामर्श लिए बिना न तो कोई महत्वपूर्ण निर्णेय अभी लेता हूँ और ना ही बाद में लूँगा।

अनुष्का: मैं भी तुमपर कितना आश्रित होती जा रही हूँ। छोटी से छोटी बात भी तुमसे शेयर किए बिना नहीं रह पाती। जिससे शेयर करने का मुझे अधिकार है वह मुझ से बात भी नहीं करना चाहता है। जब उसे मेरी आवश्यकता होती है तो आग लगा कर छोड़ देता है। बहुत बार मैं स्वयं ही दूर हट जाती हूँ। लेकिन इसमें उनका क्या दोष। डॉक्टर के परामर्श के विरुद्ध जाना ठीक नहीं। किन्तु वह मुझसे प्यार से बात तो कर सकते हैं। ऐसे में तुम बहुत याद आते हो। पूरे संसार में तुमसे अधिक मुझे कोई नहीं समझता है।

अनुभव: बीमारी विवशता का कारण बनती है और विवशता हीन भावना उत्पन्न करती है। हीन भावना से ग्रसित मनुष्य का स्वभाव असंतुलित हो जाता है। इस लिए ऐसे व्यक्ति को गंभीरता से नहीं लेना चाहिये। तुम बताओ तुम्हें प्रसन्न रखने के लिए मैं क्या कर सकता हूँ। तुम्हारी संतुष्टि के लिए मैं कुछ भी कर सकता हूँ। तुम्हारे संतोष में ही मेरा संतोष है।

अनुष्का: सीमा को लेकर सौरभ भय्या से बात की?

अनुभव: सीमा के भय्या की बीमारी और उनके जीवन की अनिश्चितता के कारण सभी कुछ अस्त व्यस्त है। स्थितियाँ कुछ साफ़ हों, तो सौरभ भय्या से बात करूं। तुम भी तो सीमा से बात करके उसके मन की टोह ले सकती हो और उसी के अनुसार घर में बात कर सकती हो।

अनुष्का: सीमा मुझसे सीधे मुंह बात ही नहीं करती है। मैं चाहती हूँ तुम लोगों की शादी जितनी जल्दी हो जाए उतना अच्छा है। यदि शादी नहीं होती है तो कम से कम इंगेजमेंट हो जाए। तुम लोगों का इंगेजमेंट हो जाने से हम लोग भी संदेह की ओर से निश्चिंत हो जाएंगे। तुम तो जानते ही होगे कि सीमा का क्या निर्णय है?

अनुभव: सीमा को मैं क्या समझता हूँ और उसके बारे में क्या सोचता हूँ, यह सब तुम्हें पता है। सीमा के निर्णयों का क्या? वह भावावेश में आकर निर्णेय लेती है। उसकी बातों का मेरे लिए कोई महत्व नहीं है। अंतिम निर्णय मुझी को लेना होगा। ऐसे विषयों पर जितना फ़्री होकर मैं तुमसे बात कर लेता हूँ, सीमा से नहीं कर पाता हूँ।

अनुष्का: क्या अंतिम निर्णय में कोई शंका है?

अनुभव: मैं एक सामान्य बात कह रहा हूँ कि जब तक किसी निर्णय का क्रियान्वयन नहीं हो जाता है, शंका तो बनी ही रहती है।

चैट पढ़ कर तीन बातें स्पष्ट हो गईं। पहली यह कि जैसे जैसे मेरी बीमारी बढ़ती गई, दोनों की मित्रता भी बढ़ती गई, दूसरी यह कि सौरभ अनुष्का की हर प्रकार की आवश्यकता पूरी करने को तत्पर रहता था, और तीसरी यह कि अनुभव की दृष्टि मैं सीमा का कोई महत्व नहीं है। इतना कुछ खुल कर सामने आ जाने के बाद अनुभव और अनुष्का के अनुचित संबंधों को लेकर सोचने समझने के लिए कुछ नहीं बचा है।


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