29 जून 2021:
29 जून 2021:
राहत ने फ़ोन से बताया, "अनुभव की लाश गोमती में मिली है। लाश इतनी क्षत विक्षत है कि उसे पहचानना कठिन है। मैंने उसे उसकी शर्ट से पहचान लिया है। यह वही शर्ट है जिसे पहन कर वह सीमा के साथ जनेश्वर पार्क गया था। शर्ट की फ़ोटो शहला को भी दिखाई। उसने भी शर्ट पहचान ली है। उसने बताया कि यह शर्ट सीमा ने उसी के साथ जाकर ख़रीदी थी और अनुभव भय्या को उनके जन्म दिन पर दी थी। सौरभ को लाश की शिनाख़्त के लिए मेडिकल कॉलेज बुलाया गया है। बहुत ढूँढने के बाद अनुभव का सुसाइड नोट लैपटॉप में मिला है। उसने दो नोट छोड़े थे। सौरभ ने दोनों का प्रिन्ट-आउट मुझे भिजवा दिया है। एक नोट सौरभ के नाम है जिसमें उसने लिखा है कि अनुष्का पवित्र है और अपने भय्या से विनती की है कि यदि अनुष्का विधवा हो जाती है या उसका परित्याग कर दिया जाता है तो वह उससे विवाह कर लें। दूसरा नोट मेरे नाम है जिसमें उसने लिखा है:
'चैट का एक छोटा सा अंश पढ़ कर आपने जो गंदे निष्कर्ष निकाले हैं वह चैट के निष्कर्ष नहीं हैं अपितु आपकी गंदी और संकुचित मानसिकता का प्रमाण हैं। आपकी दृष्टि में मैं और अनुष्का दोनों चरित्रहीन हैं। अगर हम दोनों आपस में अनुचित संबंध रखना चाहते तो आप को कानों कान ख़बर ना होती और हम क्या से क्या कर चुके होते।
यदि मेरे मन में कोई गंदा विचार होता तो मैं अनुष्का से कभी विनती ना करता कि आप की मृत्यु के बाद वह मेरे भय्या से विवाह कर ले। क्या मैं एक ऐसी स्त्री को अपनी सगी भाभी बनाऊँगा जिसके साथ मेरे अनुचित संबंध रह चुके हों?
आपने प्रण ले लिया है कि आप मेरा और सीमा का विवाह नहीं होने देंगे। नई परिस्थितियों में आप अपना प्रण पूरा करने में सफल भी रहेंगे।
आप लोगों को अभी यह बात नहीं बताई गई है कि आप के लिए जर्मनी से एक डिवाइस आ रही है जिसके फ़िक्स होने के बाद आप अपनी पूरी आयु जी सकेंगे। आप के ठीक हो जाने के बाद तो मेरे और सीमा के एक होने की कोई आशा ही नहीं रह जाती है।
अपने पैसे के अहंकार के आगे आपने किसी की भावनाओं को, किसी की इच्छाओं को, किसी के मान सम्मान को कभी कोई महत्व नहीं दिया। अपने घर बुला कर आपने जिस प्रकार मेरा अपमान किया है उसे मैं एक क्षण के लिए भी नहीं भूल पाया हूँ।
आपको लगता है कि आप पैसे से कुछ भी कर सकते हैं। लेकिन ऐसा नहीं है। आप पैसे से ना तो मन कि शांति ख़रीद सकते हैं और ना ही किसी का मन जीत सकते हैं। आज के बाद से आप कभी सुखी नहीं रहेंगे इसका मैं विश्वास दिलाता हूँ।
आपको अपना नया जीवन और अपनी ज़िद मुबारक हो। मैं सीमा के बिना नहीं रह सकता इस लिए जा रहा हूँ। मेरी हत्या के दोषी आप हैं।'
लाश को सील करके सौरभ के हवाले कर दिया गया है।
मैं अनिल और सुनील भय्या को साथ लेकर सौरभ के घर पहुँचा। अस्सी वर्ष के माता -पिता की आँखों में आँसू नहीं थे। ऐसा लग रहा था कि जैसे उन्हें पता ही नहीं है कि हुआ क्या है।
मेरी पहली कोशिश इस समाचार को सीमा से छुपने की थी लेकिन ऐसा ना हो सका। सौरभ के घर से मैंने सीमा से बात करने कि कोशिश की लेकिन बात ना हो सकी क्योंकि उसका मोबाईल स्विच ऑफ़ जा रहा था। मैंने शहला से बात की। उसने बताया कि अभी अभी उसके मोबाईल पर एक वॉयस कॉल आई है। वॉयस कॉल का एक एक शब्द मेरे कानों में पिघले सीसे की भांति उतर रहा था: 'शहला मेरी प्यारी बहन मुझे तुमसे बिछड़ने का बहुत दुख है लेकिन मैं अनुभव के बिना नहीं रह सकती मैं उनके पास जा रही हूँ। मुझे माफ़ करना।' राहत ने समाचार मिलते ही उसकी खोज के लिए गोमती के हर पुल के निकट की चौकी और थाने पर सीमा का हुलिया भेज दिया। हर पुल पर पुलिस लगा दी गई। लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ। सीमा नज़र बचा कर छलांग लगा चुकी थी। जब राहत पहुँचा तो ग़ोताख़ोर सीमा की लाश बाहर ला रहे थी।
बैकुंठ धाम पर सीमा की चिता को भय्या अग्नि दे रहे थे और अनुभव की चिता को सौरभ। और मैं मूक दर्शक बना अपनी आँखों पर विश्वास करने की कोशिश कर रहा था, ईर्ष्या की ज्वाला की उपमा को वास्तविक ज्वाला में बदलते देख रहा था। यह ज्वाला चिताओं को ही नहीं अपितु मेरे अहंकार को भी भस्म कर रही थी।

