डायरी
डायरी
प्रातः चार बजे थाल के गिरने की ज़ोरदार आवाज़ के साथ मेरी आँख खुल गई। ममता भाभी रोज़ इस समय निकट के शिव मंदिर में जल चढ़ाने जाती हैं। मैं जल्दी से बाहर गया। देखा ममता भाभी आँगन में जड़वत खड़ी हैं। पूजा की थाली ज़मीन पर पड़ी है। मैंने घबरा कर पूछा, "भाभी आप ठीक तो हैं ना।"
भाभी ने कोई उत्तर नहीं दिया। बहुत मुश्किल से अपना हाथ उठा कर एक ओर इशारा किया।
स्टोर का दवाज़ा ज़रा सा खुला हुआ था और पंखे से अनुष्का की लाश लटक रही थी।
इतनी देर में सीमा, भय्या, और अनिल भी आ गए थे। जल्दी जल्दी भय्या और अनिल ने अनुष्का को उतारा लेकिन उसका शरीर पूरी तरह ठंडा हो चुका था।
सीमा ने बताया की अनुष्का भाभी रात को लगभग सवा ग्यारह बजे मेरे पास आई थीं। उनका व्यवहार असामान्य सा था। वह मेरे बिस्तर में आ कर बैठ गईं और बोलीं, "अनुभव के लिए चिंतित हो?"
मेरी आँखों में आँसू आ गए। अपनी हथेली से मेरे आँसू पोंछते हुए बोलीं, "अनुभव बहुत भावुक है। वह हर बात को दिल पर ले लेता है। वह तुमसे बहुत प्रेम करता है। तुम्हारे भय्या ने उससे कह दिया है कि वह ना तो जीते जी और ना ही मरने के बाद तुम लोगों को एक होने देंगे। तुम अपने भय्या का सम्मान करती हो यह अच्छी बात है किन्तु सम्मान और दासता में अंतर होना चाहिये। तुम अनुभव से ही विवाह करना इसके लिए तुम्हें चाहे कितना ही विद्रोह क्यों ना करना पड़े।"
मैंने पूछा, "अपने और अनुभव के बारे में कुछ बात नहीं की?"
बात की थी। कह रही थीं, "तुम मेरी ओर से अपने मन में कोई शंका ना रखो। मैं और अनुभव बस अच्छे दोस्त रहे हैं इसके अतिरिक्त और कुछ भी नहीं। वह तुम्हारे भाई की बहुत चिंता करते हैं और जब तक आशा थी कि किड्नी ट्रांसप्लांट से उनकी जान बच सकती है वह उनके लिए अपनी किड्नी भी देने को तयार थे। लेकिन यह पता लगने के बाद कि उनके बचने की कोई भी आशा नहीं है, वह मेरे पीछे पड़े रहते थे कि मैं उसके भाई सौरभ भय्या से विवाह के लिए हाँ कर दूँ।
सीमा ने जैसे ही अपनी बात ख़त्म की मैंने उसे गले लगाया और कहा, "मेरे बच्चे मैं तुम्हें अपने वचन से आज़ाद करता हूँ।"
अनिल ने सौरभ भय्या और राहत को फ़ोन कर दिया था। बिरजीस आंटी का परिवार और सौरभ भी आ गये।
राहत ने सीमा से पूछा, "वह तुम्हारे पास से कब गईं थीं?"
"मैं ठीक ठीक नहीं कह सकती लेकिन साढ़े बारह बजे मैं पानी पीने के लिए उठी थी। उस समय मैंने देखा था कि उनके कमरे की लाइट बुझी हुई है, और वह लैम्प जला कर कुछ लिख रही हैं।"
सौरभ और राहत ने जल्दी जल्दी तलाशी शुरू की। बिना किसी कठिनाई के उन्हें सुसाइड नोट मिल गया जिसमें ऊपर ही लिखा था, 'मैं चाहती हूँ यह पत्र सब के सामने पढ़ा जाए।' नोट मुझे संबोधित था।
सौरभ ने नोट पढ़ना शुरू किया। उसने लिखा था:
कितने दुख कि बात है कि मैं आपको प्रिय कह कर संबोधित नहीं कर सकती। आपने अपने आप को इस योग्य ही नहीं रखा। आपके शक्की स्वभाव ने कल्पना की वह वह उड़ानें भरी हैं जहां कल्पना स्वयं भी नहीं पहुँच सकती है। पति-पत्नी के जीवन पथ पर शक का कोहरा रात कि कालिमा से अधिक दुर्घटना का कारण बनता है। यदि आप एक बार और ठंडे मन से चैट्स पढ़ेंगे तो आप देखें गए कि उसमें एक भी आपत्ति जनक शब्द या विचार नहीं है।
आपका विचार है कि मैंने और अनुभव ने स्टोर मैं शारीरिक निकटता बनाई थी। तो सुन लीजिए। जब हम लोग आपके कमरे से निकल कर आए थे तो ठीक बाहरी दरवाज़े के पास भाभी मिल गईं थीं। उन्होंने अनुभव से रुकने के लिए कहा था लेकिन वह नहीं रुके थे और भाभी के सामने ही घर से बाहर निकल गए थे।
उसके बाद मैं उस रोमांटिक घटना की याद ताज़ा करने के लिए स्टोर में गई थी जिसे आप समझ सकते हैं और जिसे यहाँ वर्णित नहीं किया जा सकता है। स्टोर में खड़े होकर जब मैं बीते क्षणों का आनंद ले रही थी उसी समय कोई बड़ा कीड़ा या छिपकली मेरे सर पर आ गिरी। मैंने जल्दी जल्दी से बाल झाड़े जिससे मेरा हेयर-बैंड नीचे गिर गया। मैं उसे छोड़ कर बाहर भागी। उसके बाद मैंने आपके लिए सूप बनाया और आपके पास बिखरे बालों के साथ बिना हेयर-बैंड के आई। अगले दिन जब आप मेरे साथ स्टोर में गए और आपको हेयर-बैंड मिल तो आपके शक्की स्वभाव और हीन भावना ने एक कहानी गढ़ ली।
समाज में आपकी छवि एक सभ्य, सुसंस्कृत, मृद भाषी, मित्रों के हितैषी और ग़रीबों के मसीह की है। किन्तु घर में आप जिस सौम्यता के साथ अपनी तानाशाही चलाते हैं उसे कम ही लोग जानते हैं। सीमा की आज्ञाकारिता का लाभ उठा कर आपने जिस प्रकार उससे वचन लिया है वह कठोर ह्रदयता का घृणित उदाहरण है। आप सीमा और अनुभव के प्रेम के हत्यारे हैं। अनुभव को तिरस्कृत करके घर से निकालते समय आपको अपने परम मित्र सौरभ की बिल्कुल चिंता ना हुई। अनुभव एक संवेदन शील, भावुक और स्वाभिमानी युवक है। मुझे डर है कि मेरी ही भांति वह भी आत्महत्या ना कर ले। यदि वह ऐसा करता है तो उसकी मृत्यु के लिए भी आप ही ज़िम्मेदार होंगे।
आपने मुझे इतना बदनाम किया है कि अब मैं किसी को मुंह दिखने योग्य नहीं हूँ। आपने कहा है कि अनुभव के लापता होने के संबंध में यदि पुलिस कोई पूछताछ करती है तो आप मेरी कोई सहायता नहीं करेंगे। यदि मेरे साथ पुलिस थाना होता है तो मैं किस किस को अपनी सफाई सफ़ाई दूँगी।
आप की ओर से पूर्णतः निराश होकर मैं यह क़दम उठा रही हूँ।
जो लोग यह पत्र सुन रहे हैं यह उनकी नैतिक ज़िम्मेदारी है कि वह सीमा और अनुभव को एक होने में उनकी सहायता करें।'
राहत ने यह कह कर कि मुझे एक बार और पढ़ना है, सौरभ से पत्र ले लिया।
मुझे कुछ नहीं मालूम कि सीमा के घर वालों को कैसे बुलवाया गया, क्या बताया गया और कैसे आत्महत्या को सामान्य मृत्यु दिखा कर मामले को रफ़ा दफ़ा किया गया।
केवल दो बातें याद हैं। पहली, दुल्हन की तरह सजी संवरी चिता पर लेटी हुई अनुष्का की भोली सूरत और दूसरे उसकी चिता से उठती हुई लपटें जिसका कारण मेरे द्वारा लगाई हुई आग थी।