23 जून 2021
23 जून 2021
सौरभ से मैंने फ़ोन पर बात की। मैंने उससे कहा, "सौरभ, मैं अनुभव से चैट को लेकर कुछ बात करना चाहता हूँ। उसे भेज देना।"
उसने उत्तर दिया, "मैं अनुभव से बात कर चुका हूँ। बात उतनी गंभीर नहीं है जितनी हम लोग समझ रहे हैं। बात करते समय इस बात का ध्यान रखना कि कोई बात उसके दिल को ना लग जाए वह बहुत संवेदन शील और भावुक है।"
शाम को अनुभव आया। मैंने सोच था की मैं उससे नर्मी से बात करूंगा किन्तु ऐसा ना सो सका।
मैंने पूछा, "क्या तुम्हें पता है कि तुम्हें यहाँ क्यों बुलाया है?"
"नहीं भय्या, काम बताइए।"
"काम नहीं बताना है तुम्हें कुछ समझाना है। सौरभ की भांति तुम्हें भी परिवार का एक अंग समझा। घर में तुम्हारे आने जाने पर कोई रोक टोक नहीं की। किन्तु तुमने पुराने पारिवारिक संबंधों का कोई मान नहीं रक्खा।
अनुभव मेरी बातों से अचरज में पड़ गया। बोला, "भय्या मैंने क्या किया है, मुझसे कौन से ग़लती हुई है। आप मुझे बताइए तो।"
मैंने सीधा प्रश्न किया, "मेरे मरने के बाद तुम अनुष्का से विवाह करने को तयार हो?"
आप कैसा प्रश्न कर रहे हैं? अनुष्का मेरी भाभी हैं। मैं उसके बारे में ऐसी बात सोच भी कैसे सकता हूँ।"
"क्या तुम्हें अनुष्का में कोई रूचि नहीं है, तुम अनुष्का से प्रेम नहीं करते हो?"
"आप जिस प्रकार की रूचि की बात सोच रहे हैं, वैसी कोई रूचि नहीं है। और जहां तक प्रेम का प्रश्न है मैं उससे बस उसी प्रकार का प्रेम करता हूँ जिस प्रकार का प्रेम मुझे अपनी भाभी से करना चाहिए, कुछ वैसा ही प्रेम जैसा आप ममता भाभी से करते हैं"
"ममता भाभी का नाम ना लो। वह मेरी लिए एक देवी हैं, माँ हैं। क्या तुम अनुष्का को भी एक देवी और एक माँ के रूप में देखते हो।"
"अनुष्का आयु में मेरे बराबर है मैं उन्हें इस प्रकार कैसे देख सकता हूँ। लेकिन इतना दावे के साथ कह सकता हूँ कि मेरे और उनके बीच कोई ऐसे संबंध नहीं हैं जिसके लिए मुझे लज्जा लगे। यदि मेरे मन में उसके लिए कोई बुरी धारणा होती तो क्या अनुष्का मुझसे बात भी करती?"
"तुम लोगों के बीच जिस प्रकार की चैट होती है उसका नमूना मेरे पास है।" यह कह कर सारी चैट मैंने उसके सामने रख दी।
चैट देख कर वह आश्चर्य में पड़ गया और बोला, "यह चैट राहत भय्या ने निकलवाई होगी?"
मैं नहीं चाहता था कि राहत के लिए उसके मन में कोई दुर्भावना उत्पन्न हो इस लिए मैंने कहा, " इलेक्ट्रॉनिक विजिलेन्स राहत के अधिकार क्षेत्र में नहीं है। यह काम मैंने बाहर से करवाया है। तुम स्वयं भी ऐसे कई लोगों को जानते हो जो यह काम करते हैं। यहाँ यह बात महत्वपूर्ण नहीं है कि यह चैट किसने निकाली है। महत्वपूर्ण वह है जो इस चैट में लिखा है।"
अनुभव ने पूरी चैट पढ़ी और बोला, "भय्या हम लोगों ने मात्र अच्छे मित्र की भांति बात की है।"
"चलो इतना तो तुमने स्वीकारा कि तुम लोग मित्र हो। मित्रता का क्षेत्र असीमित होता है। तुम लोगों की मित्रता किस सीमा तक बढ़ी हुई है, इसका अनुमान चैट के कुछ वाक्यों से ही लगाया जा सकता है।"
फिर मैंने कड़े स्वर में कहा, "जो भी मुझे जानता है वह यह भी जानता है कि मैं उसी समय तक के लिए ही सीधा हूँ जब तक कोई मेरी सीधाई का अनुचित लाभ नहीं उठता है। तुमने मेरी सीधाई का अनुचित लाभ उठाने की कोशिश की है। मैंने तुम्हें परिवार के एक सदस्य के रूप में घर में आने जाने की स्वतंत्रता दी तो तुमने घर की महिलाओं को बुरी नज़र से देखना आरंभ कर दिया। इस समय मैं बस इतना ही कहूँगा की तुम अपने तौर तरीके सुधार लो। अब तुम जा सकते हो।"
अनुभव ने जिस प्रकार का उत्तर दिया उसकी मुझे आशा नहीं थी। उसने कहा, "भय्या आप अपनी मर्यादा पार कर रहे हैं। मैं अब तक आपको जो सम्मान देता रहा हूँ आप उसका अनुचित लाभ उठा रहे हैं। सौरभ भय्या और आप की दोस्ती को सम्मान देते हुए और आपकी बीमारी को देखते हुए मैं आप को जवाब नहीं दे रहा हूँ। आपको उत्तर ना देने का एक कारण और भी है जिसे आप भी जानते हैं।
आप मेरे चरित्र पर दोष लगाते रहे मैं सुनता रहा लेकिन आप मेरे साथ साथ अनुष्का के चरित्र पर भी लाक्षण लगा रहे हैं। यह मैं कभी नहीं होने दूंगा। आप उन्हें बुलाइए और फिर बात कीजिए। अनुष्का जानती हैं कि मैं सीमा से कितना प्रेम करता हूँ। ऐसे में अनुष्का के और मेरे अनुचित संबंध कैसे हो सकते हैं?"
अब तुमने सीमा की बात छेड़ ही दी है तो सुन लो, "जब तक तुम्हारी छवि अच्छी थी मैं सीमा का विवाह तुम्हारे साथ करने के लिए तैयार था इसके बावजूद भी कि तुममें और सीमा में आयु का बहुत अंतर है। लेकिन अब मैंने निश्चय कर लिया है कि मैं अपने जीते जी सीमा का संबंध तुम्हारे जैसे चरित्रहीन के साथ नहीं होने दूंगा। मात्र इतना ही नहीं, मैं इस आशय की वसीयत भी करता जाऊंगा।"
उसका अंतिम वाक्य था, "मुझे मालूम है आप अपनी ज़िद पूरा करने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। आप साम , दाम, दंड, भेद सभी का प्रयोग करके अपनी बात मनवाते हैं। लेकिन सुन लीजिए मैं और सीमा एक दूसरे के बग़ैर नहीं रह सकते। उसके बिना जीने से मर जाना ही अच्छा है। इस समय मैं जो अपमान झेल रहा हूँ वह सीमा के लिए ही झेल रह हूँ वरना किसी की हिम्मत नहीं है कि मेरे चरित्र पर आक्षेप लगाय और बच कर निकाल जाए।"