विश्वास का चीरहरण , विश्वासघात कर दे तो इंसान करे भी तो क्या करे...? विश्वास का चीरहरण , विश्वासघात कर दे तो इंसान करे भी तो क्या करे...?
लेखक : राजगुरू द. आगरकर अनुवाद : आ. चारुमति रामदास लेखक : राजगुरू द. आगरकर अनुवाद : आ. चारुमति रामदास
अच्छा ठीक है बेटा ! कहते हुए माँ ने फोन रख दिया। अच्छा ठीक है बेटा ! कहते हुए माँ ने फोन रख दिया।
अनुष्का के अनुचित संबंधों को लेकर सोचने समझने के लिए कुछ नहीं बचा है। अनुष्का के अनुचित संबंधों को लेकर सोचने समझने के लिए कुछ नहीं बचा है।