11 जून 2021
11 जून 2021
बहुत देर में नींद आई। दो चिंताएँ एक साथ सता रही थीं। मेरे कहने के बाद भी सीमा कल अनुष्का के साथ क्यों नहीं गई। उसने मेरी बात क्यों टाल दी। सीमा को मैंने हमेशा बहन नहीं बेटी समझा है। उसकी छोटी बड़ी कोई ऐसी इच्छा नहीं जो मैंने पूरी ना की हो। आज तक मैंने उससे कोई भी बात ज़बरदस्ती नहीं मनवाई। उसने भी कभी कोई मूर्खता पूर्ण ज़िद नहीं की। हम लोगों में विचारों का बहुत अच्छा ताल-मेल रहा है। कल मुझे पता चला की मेरी प्यारी सी छोटी सी गुड़िया बड़ी हो गई है। मिलने मिलाने आने जाने के समीकरण वह स्वयं संतुलित करने लगी है।
हम लोगों की यह एक बड़ी कमी है कि हम अपने बच्चों के शारीरिक विकास को तो स्वीकार कर लेते हैं किन्तु उनके मानसिक विकास और उससे विसर्जित उनके व्यवहार में आने वाले परिवर्तन को सरलता से स्वीकार नहीं करते हैं, और उन्हें उस समय तक स्वीकार नहीं करते हैं जब तक उन्हें स्वीकार करना हमारी विवशता नहीं हो जाती। हम समझते हैं कि संस्कार के जिस ढांचे में हमने उन्हें बचपन में ढाला था, अभी भी उनका वही रूप बना हुआ है।
सीमा साथ इसलिए नहीं गई थी क्यों कि वह अनुभव और अनुष्का को साथ साथ नहीं देख सकती थी। जिस प्रकार प्रेम किसी को अंधा कर सकता है उसी प्रकार ईर्ष्या भी। उसकी समझ में इतनी सी बात नहीं आई की साथ जाकर वह जिस प्रकार अनुभव एवं अनुष्का पर अंकुश रख सकती थी, दूर रह कर नहीं। उन्हें अकेले जाने का अवसर देकर उसने उन्हें एक दूसरे से और भी निकट आने का अवसर दे दिया था।
उसने यह न सोचा कि दूर रह कर वह काल्पनिक शंकाओं के बवंडर का केंद्र बन कर मात्र विक्षुब्द और व्यथित हो सकती है, इसके अतिरिक्त कुछ भी नहीं कर सकती है।
मैंने अनुष्का से उसके पापा का हाल लिया। वह अभी आई.सी.यू. में हैं। मैंने उसको ढारस बंधाने वाली बातें की लेकिन उस से यह नहीं कहा की जब तक उसका दिल चाहे रुके। मैंने पहले ऐसा कभी नहीं किया था। उसने बताया कि उसके भय्या कल कानपुर पहुँच जाएंगे और परसों अनुष्का और अनुभव लखनऊ लौट आएंगे। उसने मुझे यह भी बताया है कि अनुभव रात को अपने किसी मित्र के यहाँ ठहरा था। उसने मुझसे सच कहा है या झूठ यह मैं नहीं जानता, लेकिन उसकी यह बात सुन कर थोड़ा संतोष अवश्य हुआ। लेकिन तुरंत ही दूसरी चिंता ने घेर लिया। वह पहले अनुभव को 'अनुभव भय्या' कहती थी किन्तु आज वह उसे 'अनुभव' कह रही थी।
राहत, शहला को अस्पताल छोड़ गया। बिरजीस आंटी ने मेरे लिए चिकन-सूप भिजवाया है। राहत जल्दी में था। वह इस कोशिश में है कि उसको पहली नियुक्ति लखनऊ में ही मिल जाए। डी.आई.जी. अनिरुद्ध वर्मा से मिलने गया है। अनिरुद्ध वर्मा और उसके पिता गहरे मित्र थे।
शहला को मैंने ही बुलवाया था। मैंने उससे सीमा को लेकर देर तक बात की। आरंभ में वह खुल नहीं रही थी। बाद में उसने कहा, "भय्या मैं इस बारे में आप से बात करना चाहती थी लेकिन डर भी रही थी और झिझक भी रही थी यह सोच कर कि ऐसी बातें आप से कैसे कहूँ। मेरे घर आने का बहाना करके सीमा कई कई घंटे अनुभव के साथ उसकी मर्सिडीज़ में घूमती है। उसने कुछ बातें मुझे ऐसी भी बताईं हैं जो मुझे बिल्कुल अच्छी नहीं लगीं और वह ऐसी बातें हैं जो मैं आप को भी नहीं बता सकती। मैंने उसको बहुत समझाया। कुछ दिनों के लिए बात करना भी छोड़ दिया, लेकिन उस पर कोई असर नहीं हुआ। एक दो बार अनुभव भय्या ने मुझसे भी साथ चलने को कहा लेकिन मैंने मना कर दिया।"
मैंने पूछा, "सीमा के साथ चलने के लिए कहा था या अलग से?"
"लग रहा था कि सीमा के साथ ही ले जाना चाहते थे। लेकिन मुझे उन पर बिल्कुल विश्वास नहीं है।"
"ममता भाभी और बिरजीस आंटी को यह बातें पता हैं?"
"बिल्कुल नहीं। मैं हर समय डरती रहती हूँ कि अगर मम्मी और भय्या को पता चल गया कि मैं इन दोनों की बिचौलिया बनी हुई हूँ तो वह लोग मेरा क्या हाल करेंगे। ममता भाभी को भी कुछ नहीं पता है। सीमा के कारण मुझे उनके सामने बहुत से झूठ बोलने पड़ते हैं। अब मैंने उनके सामने जाना ही काम कर दिया है।"
जब मैंने सीमा के विचार अनुष्का के बारे में पूछे तो वह फिर चुप हो गई। मेरे हिम्मत दिलाने पर उसने कहा, "वह अनुष्का भाभी से चिढ़ती है। कहती है की मेरे भय्या बीमार हैं वह उनके पास न बैठ कर अनुभव के साथ घूमने का बहाना ढूँढ़ती रहती हैं। मैंने उस से यह भी कहा कि तुमको अनुष्का भाभी की मदद से अपनी बात भय्या तक पहुंचना चाहिए। इस पर वह बुरा मान गई। कहने लगी कि अनुष्का भाभी मुझे अनुभव के साथ देख कर जलती हैं, उनका बस चले तो मुझे मार ही डालें और तुम उनसे सहायता माँगने की बात करती हो।"
मुझे चुप देख कर उसने पूछा, "भय्या क्या सीमा की अनुभव भय्या से शादी नहीं हो सकती? कोई ज़ात बिरादरी की बात है?"
मैंने कहा, "ऐसी कोई बात नहीं है। हम दोनों ही सरजू पारी ब्राह्मण हैं। सीमा और अनुभव में सात वर्ष का अंतर है चलो उसमें भी समझौता किया जा सकता है। लेकिन जिस बात से मैं समझौता नहीं कर सकता वह है चरित्र।
शहला बोली। "भय्या कुछ कीजिए, अनुष्का भाभी से कहिए कि वह सीमा से बात करें। वह बिल्कुल अंधी हो रही है। उसे न तो आपका डर है और न ही राहत भय्या का। मुझे तो वह कुछ समझती ही नहीं है। वह मेरी अकेली बहन है। मैं उसे इस तरह बिगड़ते नहीं देख सकती। बताइए मुझे क्या करना चाहिए?"
"तुम परेशान न हो। बस उसपर नज़र रखो। अगर अनुभव गंभीर है तो मुझे इनके विवाह पर कोई आपत्ति नहीं होगी। लेकिन अंतिम निर्णय लेने से पहले मैं अनुभव के बारे में और अधिक जानकारी लूँगा। अगर मुझे लगा कि वह फ्लर्ट कर रहा है तो मैं अपने जीते जी सीमा का विवाह अनुभव से नहीं होने दूंगा।"
मैं उससे अनुष्का और अनुभव के संदेहपूर्ण संबंधों की बात नहीं कर सकता था।
शहला को लेकर राहत अभी अभी गया है। उसे पूरी आशा है की उसकी नियुक्ति लखनऊ में ही हो जाएगी।
डॉक्टर चंद्रा देर में आए लेकिन इस शुभ समाचार के साथ कि मैं कल घर जा सकता हूँ और थोड़ा बहुत चल फिर भी सकता हूँ।

