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यह उनका शहर है....

यह उनका शहर है....

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कातिल आँधियों मे किसका ये असर है?

दिखता क्यों नहीं है हवा मे जो ज़हर है?

चीखें सूखती सी कहाँ मेरा बशर है?

यह उनका शहर है...


धुँधला आसमान क्यों शाम-ओ-सहर है?

आदमखोर जैसा लगता क्यों सफ़र है?

ढलता क्यों नहीं है ये कैसा पहर है?

यह उनका शहर है...


जानें लीलती है ख़ूनी जो नहर है,

कानों में मौत पढ़ता बारिश का गजर है...

माझी क्यों ना समझे कश्ती पर लहर है?

हुआ एक जैसा सबका क्यों हशर है?

यह उनका शहर है...


रोके क्यों ना रुकता हर दम ये कहर है?

है सबके जो ऊपर कहाँ उसकी मेहर है?

जानी तेरी रहमत किस्मत जो सिफर है

यह उनका शहर है...


इंसानों को तोले दौलत का ग़दर है!

नज़र जाए जहाँ तक मौत का मंज़र है!

उजड़ी बस्तियों मे मेरा घर किधर है?

यह उनका शहर है...


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