यह धुंद है कैसी छाई
यह धुंद है कैसी छाई
यह धुँद है कैसी छाई जहरीली हवा सांसों में घुल आई।
सूरज भी चाँद सा दिखे परत आसमां में ऐसी है छाई।।
चाँद तारे हुए मैले गगन ने अपनी आसमानी छवि गावाई।
फूलों ने रंगत खोई पौधों में ये कैसी है सिकुड़न आई।।
बच्चों और बूढ़ों का बाहर निकलना हो रहा है मुश्किल।
प्रदूषण ने अपनी रफ़्तार कुछ इस तरह है बिखराई।।
लोगों की गुस्ताखियों ने ख़ुद की ही ज़िंदगी नर्क है बनाई।
इंतज़ाम ख़ुद ही किये कुछ इस तरह की गैसें है फैलाई।।
है अर्ज़ ये सभी से ना फ़ैलाओं प्रदूषण का जहर इन हवाओं में।
घुल जायेगा ये धुआ साँसें मौत के धुएं में जायेगी सबकी समाई।।