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Gaurav Dhaudiyal

Romance

3  

Gaurav Dhaudiyal

Romance

ये सन्नाटा

ये सन्नाटा

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क्यों एक सन्नाटा सा मुझे 

हर वक्त घेरे रखता है 

ख्वाहिशों की भीड़ में भी मुझे 

ये कहीं अकेले ही रखता है। 


चेहरे तो वही है मगर

क्यों ये दिल अब उनसे बैर रखता है

चांद तो निकलता है आज भी

मगर क्यों वो अब चांदनी के बगैर लगता है।


कोई अनजाना ख्वाब ही है शायद

जो मेरे मन को अब बेचैन रखता है।


अकेलेपन से कोई परहेज तो नहीं था मुझे

मगर तुझसे ज़रा सा फासला 

क्यों अब मुझे उम्र भर की कैद लगता है।


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