ये ज़िन्दगी तेरी मेरी
ये ज़िन्दगी तेरी मेरी
बूँद बूँद सी है बह रही
पत्ता पत्ता है गिर रही
लम्हा लम्हा है गुजर रही
है हाथ से फिसल रही
ये ज़िन्दगी तेरी मेरी
कहीं काँटों पर है चल रही
कहीं फूलों सी है खिल रही
कभी रात में मुर्झा रही
फिर कली बन कर है आ रही
ये ज़िन्दगी तेरी मेरी
कहीं कड़कती धुप सी चमक रही
काली घटाओं सी भी है छा रही
कहीं गरज घनघोर कर
मंद मंद बूंदे है बरसा रही
ये जिंदगी तेरी मेरी
कभी ख्वाब सुनहरे है दिखा रही
मुश्किल राहों से है डरा रही
कभी ख़ुशी के गीत सुना रही
विरह के राग भी है गा रही
ये जिंदगी तेरी मेरी
ये जिंदगी ना एक सी थी
और ना कभी रहेगी
जैसे चलती आयी है
वैसे ही बहेगी
जो भी पल आये
जैसा भी कल आये
बस चलते चलो मुस्कुराये
क्यों कि...
इक दिन बीत ही जाएगी
फिर हाथ ना आएगी
ये जिंदगी तेरी मेरी