जि़दगी की हकीकत
जि़दगी की हकीकत
ज़िन्दगी की हकीकत क्या है
जीने की असली वजह क्या है
क्या है जो इंसान को जोड़ती है
क्या है जो उसे अंदर से तोड़ती है
दौलत, शोहरत, रुतबा, रसूख
बेमाने क्यों लगते है
यार - दोस्त, रिश्ते - नाते
सब बेगाने क्यों लगते हैं
हर कदम पर, हर मोड़ पर
रुस्वाई क्यों लगती है
भीड़ में, शोर में हर दम
तन्हाई क्यों लगती है
क्यों इंसान ज़िन्दगी से दूर जाना चाह्ता है
किस लिए खुद को ही मिटाना चाहता है
ज़िन्दगी खुदा की नेमत है
ये एहसास क्यों नहीं रहता
दूसरों से उम्मीद ना भी हो
खुद पर विश्वास क्यों नहीं रहता।
