पिता
पिता
जिसने नाम दिया, पहचान दी
सपनों को पंख दिए
ऊँची उड़ान दी
उंगली पकड़ कर चलना सिखाया
जब भी लड़खडाए, आगे बढ़ना सिखाया
थक गए तो कंधों पर बिठाया
जब भी रोये, गले से लगाया
छोटी छोटी मुश्किलों में,
जब भी मन उदास हुआ
उसके साथ होने का एहसास हुआ
हिम्मत दी, हौसला दिया
मुस्कुरा कर दिल में विश्वास दिया
दुनिया के सितम खूब जानता है
राहों की मुश्किलों को पहचानता है
हम चल सके उस मुश्किल डगर पर
थम ना जाये कदम कहीं हार कर
अपनी मेहनत, पसीने से
इस पौधे को सींच कर
आंधियों से भी लड़ने के काबिल बनाया
खुद की चाहतों को मन में दबाकर
हमारी हर ख्वाहिशों को हकीक़त बनाया
सारे संसार की ख़ुशियाँ लूटा कर
पिता तो जीता है बस मुस्कुरा कर
उसके साये तले सब मुश्किलें आसां है
जमीं तो क्या कदमों तले आसमां है .....