यात्रा
यात्रा
जीवन क्या है
एक यात्रा ही तो है
जिस में बहुत कुछ
छूट जाता है
जीने की ख्वाहिश
कल्पनाओं की उड़ान
जब बढ़ती जाती है तो
कुछ ना कुछ अधजिया सा
इस खोखली हँसी की यात्रा में
कुछ यात्राएँ मन के अंदर
मचाती रहती हैं हलचल
जो कमोबेश दर्शाती हैं
मन के अंदर के तूफान को
जिसे बस अनुभव किया जाता है
कोई शब्द कहने को
शेष दिखते नहीं
मन के भाव को
पन्नों पर उकेरते हुए
कभी नियति का इशारा तो
कभी बेजुबान लफ्ज़
बन जाते हैं सहारा
बंधे हुए मन्नत के धागे सी
उलझती सुलझती जिंदगी
जीते रहते हैं हम
आत्मिक एहसासों के साथ
जो पल सुखद और सुहावने थे
आओ प्रयास कुछ ऐसा हो
कुछ अच्छा हो
एक कदम और चलें
अपनों के संग
और तलाश लें
जीवन की खुशियाँ
फिर से एक बार
हां, फिर से एक बार !