यादों का मौसम
यादों का मौसम
मौसम आते जाते हैं पर ख़त्म नहीं होता
तेरी यादों का मौसम,
तेरा ज़िक्र होता हवाओं में भी
तो लाज़मी है आंँखों का होना नम।
वो तेरे पायल की झंकार
तेरा सादगी भरा श्रृंगार कैसे भुला दूंँ,
तू नज़रों के सामने नहीं
पर इस दिल की धड़कन में बसी हरदम।
दिल को छू जाए जो
बारिश की हर एक बूंद में तेरा ही एहसास,
आज भी तेरा वो मुस्कुराता चेहरा ही
मुझे देता है जीने की आस।
मेरी हर सोच, हर लफ्ज़ तेरे नाम का
तेरे नाम से ही चलती सांँसे,
जीवन का कोई मौसम भाता नहीं
बस तेरी यादों का मौसम खास।
हर एक आहट पर धड़क जाता है ये दिल
कि शायद तू कहीं तो है,
रहता हूंँ खड़ा घंटों उन राहों में
कि शायद किसी पल तू आने को है।
बेवजह का नहीं है ये इंतजार मेरा
जाने क्यों खुद को समझाता हूंँ,
ज़िन्दगी से कहाँ वास्ता रहा
ये दिल तो जिंदा ही तुझमें खोने को है।
वो आखरी मुलाकात हमारी
पल भर में सब कुछ ख़ामोश कर गई,
वो खूबसूरत लम्हें, वो ख़्वाब
सब कुछ तन्हाई के आगोश कर गई।
क्यों मोहब्बत पर ऐसी कयामत आई
मुकद्दर का था ये कैसा खेल,
जब जिंदा ही रखना था मुझे
तो क्यों मेरी चाहत को बेहोश कर गई।