यादें
यादें


कुछ लिखने को
फ़िर मैंने आज,
कलम उठायी थी,
लिखने बैठी जैसे ही,
याद तुम्हारी आयी थी,
सोचा सारी यादों को,
नीली स्याही में रंग दूँ,
पर कागज़ की इस सीमा में,
दिल को कैसे रख दूँ,
कैसे लिख दूँ इस
छोटे काग़ज में,
यादें वो पुरानी,
वो मासूमियत तुम्हारी,
और वो किस्से
और कहानी,
कागज़ में ना
आ सकते हैं,
वो पल जीवन के,
जब हँसने और हँसाने को,
जीवन में तुम थे,
अनजाने ही तुमने मन को,
छू लिया अंदर तक,
ये काग़ज जिसे ना
भर पाएगा,
उस गहरे बंधन तक,
जीवन मेरा यादों की,
दी हुई सौगात तुम्हारी,
काग़ज में ना समा पाएंगी,
वो यादें हमारी।।