यादें बचपन की
यादें बचपन की
पापा ! बस यही बोलने से ही
आधी परेशानी खत्म होजाती थी।
उनके सरपर हाथ रखते ही,
सुकूंन भरी नींद आजाती थी।
बीमारी में अपनी जब मैं
दवाई नहीं खाती थी,
छोड़कर अपने सारे काम वो
मेरी तीमारदारी में लगजाते थे।
राजकुमारी हूँ मैं मुझे,
ये आभास दिलाते थे।
पापा मेरे पापा सबसे अच्छे बन जाते थे।
जाने के बाद आपके
ये जिन्दगी सूनी सी हो गई।
हरपल आपको याद करना,
मेरी आदत सी हो गई।
कि आजाओ पापा फिरसे एक बार
लेलो अपनी गोदी में।
झुलसते हुये मेरे जीवन में,
कर दो अपने प्यार की बरसात।
पापा बोलूँ मैं और हो जाऊँ
सारे दुखों से मुक्त।