याद
याद
वो नींद में आती है सोने भी नहीं देती,
एक आस जगाती है रोने भी नहीं देती,
मेरे लिए कुछ भी उसके बाद नहीं यारो,
वो देख के मुड़ती है जैसे मैं याद नहीं यारों।।
जब गिरती थी तन पे मेरे ओस की बून्दे,
उस रेसमी जुल्फों के बौछार् सी लगती थी,
जब देखता था उसके छत पे उसके सुख रहे कपड़े,
वो मुझसे मिलने को तैयार सी लागती थी,
बस्ती मेरे दिल की अब आबाद नहीं यारो,
वो देख के मुड़ती है जैसे मैं याद नहीं यारो।।
वो मुझसे कहती थी कभी भूल मत जाना,
जिस दिन ना जाऊ मैं तुम भी स्कूल मत जाना,
हम जिये मरेंगे संग वो बाते भी होती थीं,
वो सीने से लिपटे ऐसी राते भी होती थीं,
पहले जैसा मुझमे अब उन्माद नहीं यारो,
वो देख के मुड़ती है जैसे मैं याद नहीं यारो।।