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हर आंगन सूना सूना है

हर आंगन सूना सूना है

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 जग कि रीति रवैया बदली, 

 हर आंगन सूना सूना है 

सूना सा नभ अंबर लगता, 

 चाँद तो बचा नमूना है 


बादल बदल रहे चेहरे को,

धरती का प्यास दोगुना है

सबकी नज़रे आसमान पे, 

सूरज लगे खिलौना है


चिड़िया चोंच दबा कर उड़ती,

चूँ चूँ का अब नाम नहीं

क्या क्या बदल दिया कुदरत ने, 

इंसानों का अब काम नहीं

         

युग के साथ किताबें बदली, 

बदले शब्दों के तेवर है 

जो शब्द है उनके मुख से निकले, 

तौलो तो नकली जेवर है    


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