दगाबाज की मोहब्बत
दगाबाज की मोहब्बत
बहती थी हवाएं चैन की, वो दौर ले गया,
जिसे चाहते थे हम, उसको कोई और ले गया,
नहीं होती नसीब सबको, मुमताज़ की मोहब्बत,
बड़ी हसीन होती है, दगाबाज की मोहब्बत।।
वो मन में कोई ,दिल में कोई ,साथ में कोई,
कही दोपहर बीती है, और रात में कोई,
कुछ इस कदर ही है, आज की मोहब्बत,
बड़ी हसीन होती है दगाबाज की मोहब्बत।।
#पंकज साहनी