व्यर्थ छुआछूत
व्यर्थ छुआछूत
यह व्यर्थ छुआछूत
डाल रहा बहुत फुट
हमारी अभेद्य सी,
स्नेह दीवारें रही टूट
न रहा आज बंधुत्व,
स्नेह गया आज छूट
यह व्यर्थ छुआछूत
तोड़ रहा स्नेह कुटुंब
जहर हुआ पानी
ऐसा हुई कहानी
पी रहे जहर घूंट
ऐसे हुए आज कूप
कोरोना से अधिक,
घातक यह छुआछूत
दीमक जैसे चाट रहा,
समाज को बांट रहा,
कितना रहा हमें लूट
यह व्यर्थ छुआछूत
लहूं के आंसू दे रहा
हमें बना रहा मूढ़
अब तो छोड़ दो
छुआछूत तोड़ दो
हिंद और न बनाओ
मेरे भाइयों कुरूप
आपसी एकता से,
हिंद होगा फिर भूप
छोड़ दो बोली झूठ
तोड़ दो छुआछूत
सभी अपने भाई
हम सबके सांई
सबका एक रूप
मत करो छुआछूत
हम सब ही इंसान,
एक खुदा के है, पूत
नहीं दिखाओ फूट,
फैलाओ प्रकाश ख़ूब