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Satyendra Gupta

Tragedy

4.5  

Satyendra Gupta

Tragedy

नेता जी

नेता जी

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देखो उन नेताओं को, है जिनपे देश टिका 

कुर्ता और पायजामा , है इनकी भेष भूषा

चुनाव को लड़ने को, है पूरा घर द्वार बिका

कहते हैं ऐसे कि जैसे, है देश के लिए खड़ा

समझे जो है नेता जी को, है समझो ज्ञानी बड़ा।


एक बार हाथ जोड़कर, हैं वोट मांगने आ जाते

कभी पैरों पर गिरकर , हैं अपने भी बन जाते

सारे रिश्ते जोड़कर जैसे, है रिश्तेदार बन जाते

एक बार जीता दो कहकर, हूं मैं चुनाव में खड़ा

समझे जो है नेता जी को, है समझो ज्ञानी वही बड़ा।


जोड़ते हाथ एक बार, हैं पांच साल जोड़वाते हाथ

खर्च करते एक बार, है वसूलते फिर सालों साल

पैर पकड़ते एक बार , है पैर पकड़वाते सालो साल

जीत जाते ये अगर चुनाव, हो जाते दर्शन दुर्लभ बड़ा

समझे जो है नेता जी को ,है समझो ज्ञानी वही बड़ा।


करके वादा विकास का, है करते अपना ही विकास

मूर्ख बनी खड़ी जनता, है देखती अपना ही विनाश

सड़क बन गया नाला, है नाला का हुआ सत्यानाश

मतदाता जो भगवान था, है उसको पछताव

ा बड़ा

समझे जो है नेता जी को, है समझो वो ज्ञानी बड़ा।


जो नेता थे पैदल चलते,है करते अब कार सवारी

जो नेता थे हाथ जोड़ते ,है आई जनता की बारी

कोई काम हो करवाना , हो जाती परेशानी भारी

पहले थी बोली मीठी इनकी, अब कड़वाहट है बड़ा

समझे जो है नेता जी को , है समझो वो ज्ञानी बड़ा।


नेता बनने की खातिर , नहीं चाहिए कोई भी डिग्री

स्वास्थ जांच की नही जरूरत,चाहे आते हो मिर्गी

शिक्षा के विद्वान नही , शिक्षा मंत्री ये बन जायेंगे

अस्त्र शस्त्र का ज्ञान नही, रक्षा मंत्री ये बन जायेंगे

अशिक्षित मंत्री के लिए , अफसर हो जायेंगे खड़ा

समझे है जो नेता जी को, है समझो वो ज्ञानी बड़ा।


नेता ही होंगे अशिक्षित, देश शिक्षित कैसे हो पाएगा

नेता ही होंगे असमाजिक, विकास  कैसे हो पाएगा

तय करो इनकी भी डिग्री, तब देश सुधर  पाएगा

उच्च शिक्षा हो नेता जी की, देश शिक्षित बन पाएगा

सोच समझ मतदान करो , इस निर्णय पे रहना खड़ा

समझे है जो नेता जी को, है समझो वो ज्ञानी बड़ा।


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