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Sri Sri Mishra

Inspirational

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Sri Sri Mishra

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वतन

वतन

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सर सरहद पर जो जान गंवा बैठे....

दुश्मनों संग खून की होली खेल बैठे.....

ऐसे कर्मवीर की इठलाहट पर आँखें नम कर बैठे...

उनकी शहादत को हम नमन करते हैं....

लंबी चौड़ी कद काठी पर उनकी.....

चार चाँद खूबसूरती पर लगा बैठे.....

हर उस माँ का लाल सपूत......

करोड़ों में आँखों के हीरे जो बन बैठे.....

उनकी शहादत का हम सम्मान करते हैं....

उस पत्नी के आँसुओं के खारेपन पे.....

उफनता समुद्र भी ज़ार -ज़ार रोया....

उस माँ की ममता भी बिखर कर...

साहस अपना सब शर्तों पर खोया....

उस माँ भारती के सपूत को हम नमन करते हैं..

जरूरी नहीं समझा उसने पीछे मुड़ कर देखना..

मुंह तोड़ जवाब देना जो था उसका सपना...

आज खामोश चिरनिद्रा में है वह सोया..

वह लाल अनंत यात्रा में जो है खोया..

पार्थिव शरीर जो उसका जिस साँचे में सील है...

......सौ सुनार की एक लोहार की.....

ठोंकी हुई आखरी वह ताबूत की कील है...



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