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Kanchan Prabha

Tragedy

4.8  

Kanchan Prabha

Tragedy

वृक्ष की चाह

वृक्ष की चाह

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मत काट मुझे ऐ मानव तू

तेरा वक्त जब आयेगा

यमराज के कटार से फिर

तू भी बच ना पायेगा


कोई नहीं तब होगा ऐसा

तुझे आक्सीजन दे पायेगा

तेरा शरीर भी बोटी बोटी

चील कागा खा जाएगा


जिस तरह से ऐ बेदर्द मानव 

तू मुझको आज जलाएगा 

तेरा शरीर भी जल जल कर 

मिट्टी में मिल जाएगा


मत काट मुझे ऐ मानव तू

तेरा वक्त भी आयेगा।


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