वृक्ष है मेरा परिवार
वृक्ष है मेरा परिवार
वृक्ष है मेरा परिवार।
मुझे आंगन के उन वृक्षों से है बहुत प्यार।
गांव में अब भी जब जाता हूं।
अनार और अमरूद के फल
अभी भी उतने ही पाता हूं।
बस फर्क पड़ गया केवल इतना अब पहले की जैसे अमरूद के पेड़ पर चढ़ नहीं पाता हूं।
अपने बच्चों को उन वृक्षों की कहानी बहुत सुनता हूं।
गांव में नहीं रहे अब माता-पिता मेरे,
लेकिन हर वृक्ष को पानी देते हुए मैं खुद में ही उनकी छवि पाता हूं।
उन वृक्षों के नीचे चारपाई बिछाकर सोता हूं तो
हिलती हुई टहनियों के रूप में वही ठंडक और उनका आशीर्वाद पाता हूं।
शहरों में उग रहे हैं कंक्रीट के जंगल,
एक ऊंची सी इमारत में बैठकर,
याद करता हूं जब भी अपने वृक्ष परिवार को केवल तभी मन में सुकून पाता हूं।
