वृद्धाश्रम
वृद्धाश्रम


इस ज़माने में तेरी पहली, चीख सुनकर
दिल ने एक सुकून सा पाया था।
तेरे जन्म पर मैं, फूले न समाया था,
गली मोहल्ले में, लड्डू बंटवाए थे।
तुझे देखकर ही मैंने, अपने बुढ़ापे का सुकून,
उस भरी जवानी में पाया था।
तेरी हर खुशी तुझे देने को लेकर,
अपनी हर खुशी को दाँव पर लगाया था।
तेरी उंगली पकड़कर, अपने दम पर
तुझे एक पहचान दिलाई थी।
पता न था की वक्त की पट्टी,
इतनी उल्टी पड़ जाएगी,
हद से ज्यादा चाहने वाली हस्ती मुझे,
अपने से इतना दूर (वृद्धाश्रम) छोड़ जाएगी ।
मुझे, अपने से इतना दूर छोड़ जाएगी ।