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Jeevan singh Parihar

Inspirational

5.0  

Jeevan singh Parihar

Inspirational

साहस

साहस

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आपातकालीन खिड़की सा हो गया हूँ,

जरूरत पड़ने पर याद आ रहा हूँ।


चढ़ती सीढ़ियों से गिराया जा रहा हूँ,

फिर भी मैं, चढ़ता जा रहा हूँ।


सब ओर से ठोकरे खाकर भी,

अपने आप को, उठा रहा हूँ।


शब्दों के बाणों से हर रोज, पीड़ित होकर भी,

कानो को अपने बंद करके, आगे मैं बढ़ रहा हूँ।


आडम्बरो और बाधाओं से लड़कर भी,

विजयपथ के मार्ग पर चढ़ रहा हूँ।


जीत का हौसला लिए मन में,

तिल-तिल मैं बढ़ रहा हूँ।

तिल-तिल मैं बढ़ रहा हूँ।


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