तबदीली
तबदीली
मस्ती की हस्ती भी डूबी,
गई डूब यारों की टोली।
मद्धम - मद्धम डूब रहें हैं,
त्यौहारों के रंग सजीले।
डूब रही हैं बीती यादें,
जैसे डूबे पानी में पत्थर।
पल - पल की इस दौड़ में देखो,
डूब रही हैं उम्र की सीमा।
डूब रहें हैं अपने भी तो,
लेकर भागें भागें सपने।
बदल गया परिवेश जो देखो,
लगता न पहले जैसा अब।
लगता ऐसा सब कुछ ओझल ,
उजड़ा - उजड़ा सा हर एक पल।।
