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Jeevan singh Parihar

Abstract

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Jeevan singh Parihar

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वास्तविकता

वास्तविकता

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वक्त की वकालत तो हर कोई करता है, 

पर वास्तविकता में जिंदगी कुछ अलग है साहब।


आप बीती तो सब अच्छे से सुनाते हैं, 

लेकिन खुद बीती सुनने से सब कतराते हैं।


सफलता का बखान तो सब

बढ़-चढ़ कर करते हैं

किन्तु असफलता के पीछे के

कारण को सब धिक्कारते हैं।


शीर्ष पर पहुँचना हर कोई चाहता है,

पर बीच के रास्ते को सब नकारते हैं साहब।


दूसरों पर ज्ञान तो बहुत बाँटते हैं,

खुद पर अमल करने को लेकर

कोसों दूर भागते हैं लोग।


दान देने से बहुत कतराते हैं लोग,

और मुफ्त में मिली चीज़ को

अच्छे से आजमाते हैं लोग।


दूसरों के जले पर नमक छिड़कते हैं,

खुद के जले पर मक्खन लगाते हैं लोग।


अपनी तो बढ़-चढ़ कर बातें करते हैं,

दूसरों की घिस पिट के सुनाते हैं लोग।


वक्त की वकालत तो हर कोई करता है, 

पर वास्तविकता में जिंदगी,

कुछ अलग है साहब।


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