स्वर्ग,धर्म और तपस्यापिता के रुप हैं।तीर्थ, मोक्ष और ईश्वरमाता स्वरुप हैं। स्वर्ग,धर्म और तपस्यापिता के रुप हैं।तीर्थ, मोक्ष और ईश्वरमाता स्वरुप हैं।
खेलूंगी होली उस खातिर था जो मेरे मन का शृंगार। खेलूंगी होली उस खातिर था जो मेरे मन का शृंगार।
आप के पदचिन्हों पर चलकर, बढ़ते जायें पग-पग चलकर। शिशु अबोध थे हम अज्ञानी, आज बने भाभा वि... आप के पदचिन्हों पर चलकर, बढ़ते जायें पग-पग चलकर। शिशु अबोध थे हम अज्ञान...
अलग चूल्हा। अलग चूल्हा।
बच्चे उन्हें जीवन भर सजा देते हैं। बच्चे उन्हें जीवन भर सजा देते हैं।