वफाए उल्फत
वफाए उल्फत
आंसू सा सैलाब बन एक बादल
जब प्रेमिका के दर्दे दिल पर टूटा..
तब पूरी कायनात ख़ामोश सी हो गयी!
नजारे थे.. प्रेमी प्रेमिका उलफत ए वफा के;
थरथराती बिजली दोनो पर गिर पड़ी!
कसूर ना बादल का था ना ही बिजली का;
फिर क्यों उनकी आखों से आसू की धारा सी
झलक गयी!
मौसम के आगोश में मुसलाधार बारिश में
मोहब्बत की आग में भीगे थे दो प्रेमी...
वफाए मोहब्ब्त को बयां करने के लिऐ;
एक अधूरी नयी दस्ताने मोहब्बत सुनाने के लिए!