STORYMIRROR

Divyanshi Triguna

Abstract Romance Fantasy

4  

Divyanshi Triguna

Abstract Romance Fantasy

वो तो श्याम हीं था

वो तो श्याम हीं था

1 min
270

वो तो श्याम हीं था, जो मन में मेरे रहता बहता हैं

वहीं धड़कन में, अन्तर्मन में, वहीं जीवन में रहता हैं, 


उसकी छवि इस मन बसी, ऐसी इस हदय पर रहीं,

जो भूल गयी सब को हीं, बस याद रहा मुझे श्याम हीं


इन कौरे से मेरे नयनों में, हैं जिसकी छवि

वो श्याम हीं, बस श्याम हीं, मेरा तो हैं श्याम वहीं


कभी प्यार हैं, कभी इंतजार का ऐतबार हैं

तुझपे जीवन और मेरी जान भी निसार हैं


कुछ रखना नहीं, किसी और के लिए अब कहीं

जब तुम सही, बस अब तुम हीं, तुम हो सबकुछ हीं


राधा के मोहन हो, तुम हीं मीरा गिरधर मन हीं

तो बन जाओ श्याम भी, मेरे हो श्याम तुम्हीं.......


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract