वो तीसरा
वो तीसरा


तेरी मेरी मोहब्बत कब की पूरी हो गयी होती,
गर ना हमने तुमसे जुदा होने का फैसला लिया होता,
ये फैसला मेरा तेरा दिल तोड़ गया तो गुनाहगार हम हुए,
बसा लिया जो तुमने अपना बसेरा तो गुनाहगार हम हुए,
मजबूरियाँ तो हमारी थी हम तुमको दोष क्यों दे,
तेरी खुशियों को हम क्यों किसलिये बर्बाद करते,
आ गया जो हमारे दरमियाँ कोई तीसरा तो गुनाहगार हम हुए,
आँसू जो हैं मेरे नसीब में तो गुनाहगार हम हुए,
अपने हाथों से जो हमने अपने प्यार की बगिया उजाडी,
तो क्यों अब हम दोष तुम को दे अपनी बर्बादी का,
होता है वो ही जो हो लिखा नसीब में,
अपना नसीब हमने खुद बदला तो गुनाहगार हम हुए,
तू रहे खुश अपनी दुनिया मे अपने आंसुओ के लिए गुनाहगार हम हुए ।