वो सुबह
वो सुबह
यह सुबह भी हसीन है
वो सुबह भी दिलकश थी
यह तो अपने अपने देखने का
नजरिया है
जहां तक नजर दौड़ाओ
यह दुनिया एक सुंदर सपनों का
मेला है
तुम भी मिले थे मुझे
एक चमकीली सुबह की तरह
छोड़ गये मुझे तन्हा
भरकर मेरे जीवन में अंधेरे तो
कोई बात नहीं
ऐसा भी क्या
चमकते हो रात को एक सुनहरे सूरज से
तो मैं तो ऐसे ही खुश हो
लेती हूं
तुम रहो जहां कहीं भी
मैं तो तुम्हें याद करके
हर सुबह के एक उगते सूरज सी
तुम्हारे दिल के घर के दरवाजे की खिड़की
तक पहुंच ही लेती हूं।

