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khushi kishore

Romance Classics Fantasy

4  

khushi kishore

Romance Classics Fantasy

वो सतरंगी पल

वो सतरंगी पल

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नयनों में उतर आए आज फिर

यादों में लिपटे वो सतरंगी पल।


हर पल जैसे रंगों का ताना बाना

ख्वाब थे सजे कई इन आँखों में।


तितलियों से उड़ते इठलाते

हर ख्वाब की है एक कहानी।


थे कुछ जुगनुओं से टिमटिमाते

कुछ आसमा के थे झिलमिलाते सितारे।


कभी लबों पर सजे मुस्कुराहट बन 

कभी नयनों को हौले से छलकाते।


स्मृतियों के झरोखों से झांक कर 

मन को गुदगुदाते वो सतरंगी पल।


एक बार फिर उन स्मृतियों में

दो पल को गुनगुना लूँ मैं।


कुछ बूंद नयनों से छलका कर

लबों पर मुस्कुराहट सजा लूँ मैं।


जी लूँ उन लम्हों को एक बार फिर

क्षितिज पर इंद्रधनुष सजा लूँ मैं।


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