ओ निंदिया..
ओ निंदिया..
ओ निंदिया मेरी निंदिया कहाँ उड़ चली
मेरे ख्वाहिशों के रंग पिरो के कहाँ उड़ चली
ओ निंदिया मेरी निंदिया कहाँ उड़ चली।।
आजा मेरे कमरे में बत्तियां बुझ चुकी हैं
ओ आजा मेरी रातों को इंतजार है बस तेरा
ओ निंदिया मेरी निंदिया कहाँ उड़ चली।।
देर से अंखियों में आस संभाले हुए तेरा
रात के लम्हों में भटक रही हूं मैं कहीं ।।
ओ निंदिया मेरी निंदिया कहाँ उड़ चली
मेरे ख्वाहिशों के रंग पिरो के कहाँ उड़ चली।।
फिल्म: जहरीला इंसान
धुन: ओ हंसिनी