सांझ इंद्रधनुषी
सांझ इंद्रधनुषी
सांझ के रंग देखें है कभी ?
काली स्याही के पहले
कितने रंग आते जाते है,
कोरे कागज से आसमान में।
कभी पहले प्यार की तरह,
सुर्ख गुलाब सा गुलाबी।
कभी सूरज को आलिंग किय,
उसके रंग में रंगी पीली सरसों सी।
कभी पिया मिलन की राह देखती,
लाल चुनरी में लिपटी दुल्हन सी।
कभी नदी का निश्चल नीला रंग लिए,
अपने सागर से मिलने को आतुर सी।
फुरसत मिले तो निहारना कभी,
सांझ के इंद्रधनुषी रंग को।
मिलन के पहले की उसकी अधीरता को।