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khushi kishore

Classics Inspirational

4  

khushi kishore

Classics Inspirational

मैं एक नारी हूँ |

मैं एक नारी हूँ |

1 min
213



प्रेम स्नेह ममता करुणा त्याग

दया वात्सल्य और समर्पण से भरी

वसुंधरा सी रिश्तों को सहेजती

मैं एक नारी हूँ।


कभी हूँ नदी सी उन्मुक्त बहती

तो कभी सागर सी गर्जन करती

कभी पहाड़ो में तो कभी रेत में

अपना पथ खुद निर्मित करती 

मैं एक नारी हूँ।


कोयला भी हूँ हीरा भी हूँ

चुन सको तो चुनो लो मुझमें

कौन सा गुण है तुमको प्रिय

हर रूप और गुण में घुल जाती हूँ

हाँ ! मैं एक नारी हूँ।


चाँद सी है शीतलता और

ज्वालामुखी सा अंगार मुझमें

तूफानों सा बवंडर भी रखती हूँ

फिर भी बहती हूँ मंद बयार सी

मैं एक नारी हूँ।


अपने घर की आधारशिला मैं

नव अंकुर का निर्माण मैं करती

अपने अस्तित्व में सम्पूर्ण हूँ मैं

हाँ ! मैं एक नारी हूँ।


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