STORYMIRROR

Sarita Saini

Horror

4  

Sarita Saini

Horror

वो ज़ोर से हसने लगी...

वो ज़ोर से हसने लगी...

1 min
398


रात के सन्नाटे में छत पर पड़ी जो नज़र मेरी ,

न जाने वो कौन थी रात की हूर या कोई परी ,

मुझे समझ न आया ,

लम्बे बाल और अटपटा सा श्रृंगार ,

वो जोर से हंसने लगी ...

भागी मैं कमरे में धड़कनें मेरी बढ़ने लगी ,

हंसी उसकी दिल दहला गई ,

दहशत मनमें मेरे छा गई, 

न जाने वो कौन थी ??

कोई बुरी आत्मा या मेरा भ्रम ,

पर जो भी थी याद उसकी आज भी 

दिल को डरा जाती है ।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Horror