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Dharm Veer Raika

Abstract Children Stories Horror

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Dharm Veer Raika

Abstract Children Stories Horror

उड़ परिंदे...............!

उड़ परिंदे...............!

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हँस के जियो मेरे यार,

इस दुनिया मे है बहुत प्यार,

देख मत इनकी निगाहें,

अपने हिसाब से बारी- बारी से परख,

उड़ परिंदे........................... I


मैं क्या हूँ तुझे बताऊँ,

पर बेमतलब क्यों इन पंछी को सताउँ,

अपना हिसाब अपने पास रख,रे

हम तो परिंदे है कभी उड़ जायेंगे,

उड़ परिंदे........................... I


उड़ गया पंछी रह गया डाल,

उस डाल को पूछूँ क्या बाकी है,तेरे

पर कदम -कदम पर है डाल के सवाल,

बैठे परिंदे मचा दिया l बवाल

उड़ परिंदे........................... I


सब अपनी -अपनी माया मे जीवे,

क्यों मासुमि मे रहे,

चल गया वो सफर का मुसाफ़िर,

एक विश्राम से दुःख छोड़ गया l


कहाँ मिलेगा वो पंछीड़ा,

कच्ची थी डाल उसको पूछूँ तो वो ही टूट गयीl

अब क्या होगा मेरे यारा...........


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