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Dharm Veer Raika

Abstract Action Classics

4  

Dharm Veer Raika

Abstract Action Classics

मृत्यु

मृत्यु

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244


मत घबराओ मौत से...

कुछ अच्छा कर चल,

बिना पुकारे एक दिन आयेगी,

बिना शोर चुपके-चुपके,

कोई नहीं रुकेगा,वहां 

ना दिन, ना रात भय है, उन्हें 

बहरापन है या गूंगापन पता नहीं,

आयेगा जरूर मृत्यु का साया,


दूल्हा बन ले जाएगी । बिना कहे, 

गमसीन माहौल में तेरी,

उस दिन अंतिम विदा बारात निकालेगी,

डर लगेगा उसकी परछाई से,

मगर उनको रोक कर बताई,

कब-कब तेरा जहन पिया मैने,


वो कहती है हर बार संभल कर चल,

एक दिन झोली में भरकर ले जाऊँगी,

मत घबरा, तू मानवी !

अमीरी– गरीबी नरक में होंगे, 

स्वर्ग में सब एक जगह विराजे,

बंधन का उन्मुक्त कर दूंगी,


मोह,प्यार, लगाव,सबको भुलवा दूंगी,

दोस्त, रिश्तेदार कोई नहीं रहेगा,तेरा

क्या होगा तेरी संपत्ति का चकित हूँ,मैं

तुम दिन रात पाने में लगे हो,

काहे गुमान करें, मानवी ! तुम


छोड़ तुम्हें सुकून दूं,चल मेरे साथ तुम,

घबराओ मत मौत से,

कुछ अच्छा कर चल,

बिना पुकारे एक दिन आऊॅंगी,

सब यहीं छुड़वा कर ले जाऊंगी।  


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