यादें.....
यादें.....
टूट रही जवानी की बाते कैसे तुमको कह दूं
क्यों नही सुनती मेरी बाते मैं प्रखर चढ़ गया ,
खो गया जब तुम गायब थे सपने में गाया,
मेरा बचपन था तेरी जवानी तुम अपने को भूल गए
खुशी से मैं झूमने लगता वो मेरा इज़हार था
मैं भी आशिक था तेरी दीवानगी का
ऊंचे महलों में आशियां बना लिया,
सीढियां भी नहीं गिन पा रहा हूं,
फिर भी अपना बना लिया,
कैसे मिलन होगा हमारा,
सच तो यह है कि मोहब्बत ने तुमको चुन लिया I