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Dharm Veer Raika

Abstract Horror Classics

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Dharm Veer Raika

Abstract Horror Classics

दोस्ताना

दोस्ताना

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किताबों के हर पन्ने पर,

 तेरी जुबां की बातें लिखी,

 हारिल के संग पत्र भेजूं, 

तुम पढ़ते रटते रहना,

 याद है तेरी अठखेलियां, 


खिल– खिलाहट हँसते, 

याद है तेरी पुरानी हरकतें,

जब था तेरे से अजनबी ,

आँखों से आँख बात नहीं कर पाते,

पता नहीं फिर भी लगता करीबी, 


उदासी में शायरियां सुनाई,

सफ़र में लाई तरलता,

 सोया सवेरा हो जाता,

 पता नहीं था गरीबी अमीरी,

तेरे साथ रहकर,


क्या ठण्डी रातें गुजरी,

 तेरे साथ खाना खाने का,

 मिजाज ही कुछ और था,

 एक ही थैली के चट्टे– बट्टे,

 हम प्यार बयां करते हैं,


 बदन के लहु-लहु में,

तेरे नाम की धारा बह रही है,

चांद से पुछो–

बिना चांदनी कैसा लगता है,

 मुझसे पुछो बिना दोस्त सब सुनसान लगता है।


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