काली रात
काली रात
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घोर अंधियारी काली रात,
चमगादड़ की निकली बारात।
कोई आ के ये बताए,
कैसे कद्दू उजाला दिखाएं?
जो पास जाए बहुत घबराए,
देख के उनको कद्दू मुस्कुराए।
काफी दूर है महल बड़ा,
लगता जैसे कोई भीतर खड़ा।
आवाजे आती हैं अजीब,
दूर से आता कोई पल में करीब।
चार बज कर घड़ी का कांटा,
कोई गहरे राज का निर्देश कराता।
जो अंदर गया वो बाहर न आया,
रहस्य बड़ा ये कोई जान न पाया।